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चित्रकूट

भूमि पूजन हेतु पवित्र नदियों का जल व रामरज अयोध्या रवाना तपोभूमि में भी उत्साह का माहौल

राम की तपोभूमि के लोगों में भी उत्साह की लहरें हिलोरें मार रही हैं.

चित्रकूटJul 30, 2020 / 01:29 pm

Neeraj Patel

भूमि पूजन हेतु पवित्र नदियों का जल व रामरज अयोध्या रवाना तपोभूमि में भी उत्साह का माहौल

भूमि पूजन हेतु पवित्र नदियों का जल व रामरज अयोध्या रवाना तपोभूमि में भी उत्साह का माहौल

चित्रकूट: 5 अगस्त को अयोध्या में होने वाले राम जन्म भूमि पूजन हेतु भगवान राम की तपोभूमि में भी उत्साह का माहौल है. देश दुनिया की मीडिया की नजरें भले ही अयोध्या पर टिकी हों भूमि पूजन को लेकर परन्तु राम की तपोभूमि के लोगों में भी उत्साह की लहरें हिलोरें मार रही हैं क्योंकि अपने 14 वर्षों के वनवासकाल का सर्वाधिक समय(करीब साढ़े 11 वर्ष) राम ने चित्रकूट में बिताए और इसीलिए इसे भगवान राम की तपोभूमि कहा जाता है. यहां के कई स्थान ऐसे हैं जहां मान्यता है कि भगवान राम ने उन स्थानों पर प्रवास व विचरण किया था वनवासकाल के दौरान. अब इन्ही तीर्थ क्षेत्रों की रामरज व पवित्र नदियों का जल अयोध्या रवाना किया गया है भूमि पूजन हेतु.
भगवान राम की तपोभूमि के तीर्थ क्षेत्रों की पवित्र मिट्टी व पवित्र नदियों का जल अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन हेतु रवाना किया गया. गुरुवार को रामघाट स्थित मंदाकिनी नदी का जल मंत्रोच्चार के बीच कलश में भरकर साधू संतो की मौजूदगी में अयोध्या भेजा गया. इस दौरान प्रदेश सरकार के लोकनिर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय सहित भाजपा के कई नेता कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे. पवित्र मंदाकिनी नदी के जल के साथ भगवान कामतनाथ पर्वत की मिट्टी जिसे आस्थावान रामरज भी कहते हैं अयोध्या भेजी गई है. तपोभूमि के साधू संतों का कहना है कि राम का चित्रकूट से गहरा नाता है. उन्होंने अपने वनवासकाल का सर्वाधिक समय यहां बिताया है इसलिए यहां भी वही उत्साह है राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को लेकर जो अयोध्या में है.

वहीं प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि पाँच अगस्त को पीएम मोदी द्वारा रामजन्मभूमि का शिलान्यास किया जायेगा। चित्रकूट में भगवान राम साढे ग्यारह वर्ष तक रहे थे।राम के राज्याभिषेक के लिए पूरे देश की पवित्र नदियों से एकत्रित जल भरतकूप(चित्रकूट) में विसर्जित किया गया था. इसलिए शिलान्यास हेतु भरतकूप सरयूधारा,मन्दाकिनी,पयस्वनी,गोदावरी,द्वितीय तमसा बाल्मीकि,राघवप्रयाग का जल व कामदगिरी पर्वत की एवं बाल्मीकि आश्रम की रामरज को राम जन्म भूमि के शिलान्यास के लिए अयोध्या भेजा गया है.

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