भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर के शिलान्यास पूजन की घड़ी करीब आ रही है. 5 अगस्त को पीएम मोदी मंदिर निर्माण का पूजन कार्यक्रम सम्पन्न करेंगे. ऐसे में राम की तपोभूमि के भी साधू संतों व नागरिकों में उत्साह का माहौल है. तपोभूमि के नागरिकों की इच्छा है कि मंदिर निर्माण के पूजन कार्यक्रम में तपोभूमि की मिट्टी व पवित्र तीर्थ क्षेत्रों के जल का प्रयोग किया जाए क्योंकि अपने 14 वर्षों के वनवासकाल के साढ़े 11 वर्ष से अधिक का समय भगवान राम ने चित्रकूट में बिताया था. इसलिए राम से राम की तपोभूमि का गहरा नाता है और अब उनकी जन्मभूमि में बनने जा रहे भव्य मंदिर के पूजन कार्यक्रम में राम की तपोभूमि के पवित्र तीर्थों की मिट्टी व जल का प्रयोग होना चाहिए.
अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर निर्माण पूजन कार्यकम में भगवान राम की तपोभूमि के पवित्र तीर्थों की मिट्टी व जल के प्रयोग की मांग करते हुए बुंदेली सेना ने कहा है कि चित्रकूट में भगवान राम ने अपने 14 वर्षों के वनवासकाल का सर्वाधिक समय व्यतीत किया. जिस वजह से चित्रकूट को भगवान राम की तपोभूमि भी कहा जाता है. गहरा नाता है राम का राम की तपोभूमि से. संगठन का कहना है कि अब जबकि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पूजन की घड़ी करीब आ गई है तो इस अवसर पर तपोभूमि के साधू संतों एवम नागरिकों की इच्छा है कि पूजन कार्यक्रम में यहां के पवित्र तीर्थ क्षेत्रों की निशानियों का भी प्रयोग किया जाए. इसी मांग को लेकर बुन्देली सेना भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को भगवान कामदगिरि पर्वत की मिट्टी व पवित्र मंदाकिनी नदी एवम तीर्थ क्षेत्र भरतकूप का जल सौपेगीं. प्रदेश अध्यक्ष से मांग की जाएगी कि अयोध्या में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री द्वारा भव्य राम मंदिर पूजन कार्यक्रम के दौरान प्रभु के राजतिलक को आये सभी तीर्थों के जल और कामदगिरि पर्वत की पवित्र मिट्टी का प्रयोग किया जाय.
संगठन के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि प्रभु श्री राम का अयोध्या और चित्रकूट से गहरा नाता है l वनवास काल के दौरान साढ़े बारह वर्ष से अधिक का समय प्रभु श्री राम ने चित्रकूट में ही बिताया. इस दौरान राम के अनुज भरत अयोध्या वापस होने हेतु उन्हें मनाने के लिए सभी तीर्थों का जल लेकर चित्रकूट आये थे. परन्तु राम के अयोध्या वापस न लौटने पर भरत ने यही जल तीर्थ क्षेत्र भरतकूप में छोड़ दिया था. पवित्र मंदाकिनी नदी और कामदगिरि से भी प्रभु श्री राम का अटूट नाता है. अब अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण की तारीख तय हो गई है. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूजन करके राममंदिर का निर्माण शुरू होना है. इस पूजन कार्यक्रम में प्रयागराज संगम से जल मंगाया जाना है. इसके साथ उनकी ही नहीं बल्कि तपोभूमि के नागरिकों की भी इच्छा है कि पूजन कार्यक्रम में भरतकूप और मंदाकिनी का भी जल तथा कामदगिरि पर्वत की मिट्टी का भी प्रयोग किया जाए. इसके लिए बुन्देली सेना यहां से जल और मिट्टी लेकर लखनऊ जाएगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को यह जल और मिट्टी सौंपीं जाएगी और मांग की जाएगी कि प्रधानमंत्री के पूजन कार्यक्रम में इसका प्रयोग किया जाय.