इसके साथ ही महिलाएं एक साथ मिलकर रात्रि जागरण का कार्यक्रम भी रखती है। जिसमें अपनी प्रस्तुति देती हैं। और आखिरी दिन बड़े ही धूमधाम से जवारो को ढोल नगाड़ों के बीच मां मंदाकिनी नदी में इसको विसर्जित कर देती है।
ऐसी मानता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने भी इसी व्रत को बड़े ही विधि विधान से किया था। इसीलिए इस व्रत को कुंवारी लड़कियां अपने अच्छे वर मिलने की कामना को लेकर व्रत रखती हैं। तो वहीं सुहागिन महिलाएं अपने परिवार की खुशी समृद्धि मनचाहे संकल्प के लिए यह व्रत रखती है।
इस व्रत के रखने से उनकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। इसीलिए इस व्रत को सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट में सैकड़ों की तादाद में महिलाएं 25 वर्षों से इस व्रत को मनाती चली आ रही है और इस बार भी बड़े ही धूमधाम से इस व्रत को महिलाओं ने मनाया है।