प्रागैतिहासिक शैलचित्र आज भी सुरक्षित – इतिहासकार डा संग्राम सिंह इतिहासकार डा संग्राम सिंह कहना है कि, विंध्य क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रागैतिहासिक शैल चित्रों की खोज का श्रेय आर्चीवाल्ड और जान ककवर्न को जाता है। ककवर्न ने अपने शोध का सचित्र वैज्ञानिक विवरण एशियाटिक सोसाइटी आफ बंगाल के जर्नल में वर्ष 1883 में प्रकाशित किया था। अमवा से मिले वैसे ही प्रागैतिहासिक शैलचित्र आज भी सुरक्षित हैं।
यह भी पढ़ें – इटावा सफारी पार्क में शेरनी जेनिफर ने दिया शावक को जन्म, खुशी से झूमे वनकर्मी देखने के बाद ही कुछ कह सकेंगे – चित्रकूट जिलाधिकारी इस नई सूचना पर चित्रकूट जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने कहाकि, .प्राचीन शैल चित्रों के बारे में देख कर ही कुछ कह सकेंगे। जल्द ही टीम वहां जाकर रिपोर्ट तैयार करेगी। मनोज कुमार वर्माए सहायक अभियंता भारतीय पुरातत्व विभाग शैलचित्र को पुरातत्व विभाग की टीम से सर्वे कराएंगे। यदि पुराने शैल चित्र हैं तो इनको संरक्षित किया जाएगा।
यह भी पढ़ें – School Holidays in August 2022 : अगस्त में कितने दिन बंद रहेंगे स्कूल, जानें चित्रकूट में भगवान राम ने काटा था वनवास चित्रकूट में प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण संग साढ़े बारह वर्षों का वनवास काटने के लिए चित्रकूट का चयन करने के प्रमाण यहां की आध्यात्मिक और प्राचीनता में रचे बसे हैं। जगह.जगह इसके प्रमाण मिलते भी हैं। जिम्मेदारों की उपेक्षा और अपनी धरोहरों के प्रति उदासीनता इन पर भारी पड़ रही है। चौरासी कोस की परिक्रमा में ये अवशेष बिखरे हैं, जिन्हें संजोने की जरूरत है।