छिंदवाड़ा. आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव के मौसम वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग ने तापमान में गिरावट को देखते हुए रबी सीजन की फसल और सब्जियों में पाला पडऩे की संभावना व्यक्त की है । छिंदवाड़ा का न्यूनतम तापमान 6.1 डिग्री पर उतर गया है। उन्होंने कहा कि हरी पत्तेदार सब्जियों, आलू, मटर, चना, सरसों, अलसी, आदि फसलों में पाले से लगभग 80-90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता हैं।
आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तकनीकी अधिकारी डॉ.संत कुमार शर्मा ने बताया कि सर्दी के मौसम में जब तापमान चार से शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो जाता है तब हवा में उपस्थित नमी व औंस की बूंदें बर्फ के छोटे-छोटे कण में बदल जाती है। इसके परिणामस्वरूप कोशिका भित्ती फट जाती है, पत्तियां झुलस जाती हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है। जिसे पाले के नाम से जाना जाता है ।
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पाले से बचाव के लिए किसानों को सलाह
पाले से फसलों को बचाने फसलों में सिंचाई करना चाहिए । फसलों की सिंचाई करने से फसलों का तापमान लगभग 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। इससे फसलों में पाले का प्रभाव कम पड़ता है । किसान मित्रों ठंड के मौसम में पाला पडऩे से पहले या पडऩे पर खेतों की मेढ़ों पर घास, फूस जलाकर धुंआ करें । इससे आस पास का वातावरण गर्म हो जाता है । पाला पडऩे की संभावना वाले दिनों में मिट्टी की गुड़ाई या जुताई नहीं करनी चाहिए, क्योंकिं ऐसा करने से मिट्टी का तापमान कम हो जाता है । जिस दिन पाला पडऩे की संभावना हो, उन दिनों फसलों पर 0.1 प्रतिशत गंधक के घोल का छिडकाव करना चाहिए ।
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अधिक ठंड पर पशु को बचाए, सूर्योदय के बाद घर से निकले लोग
दिसंबर से जनवरी माह तक अधिक ठंड पडऩे के कारण पशु तथा बछड़ों आदि को भी रात्रि के समय घरों के अंदर बांधें तथा उन्हें बोरे तथा जूट के बोरे तथा टाट-पट्टी से ओढ़ाकर ठंठ से बचायें। ज्यादा ठंड तथा पाला पडऩे पर मनुष्यों एवं बच्चों को भी सलाह है कि वह रात्रि के तीसरे और चौथे पहर में खेतों की मेड़ों पर या यहां-वहां न घूमें। सूर्योदय के बाद ही घर से निकलने की सलाह दी गई है।
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