scriptWater crisis: बढ़ती आबादी की प्यास बुझाने में अब कामयाब नहीं बोर | Patrika News
छिंदवाड़ा

Water crisis: बढ़ती आबादी की प्यास बुझाने में अब कामयाब नहीं बोर

– ढाई लाख से अधिक आबादी के लिए हर दिन 49 एमएलडी पानी की जरूरत
– डैम से 47 एमएलडी पानी, मात्र तीन प्रतिशत भूमिगत जल का उपयोग

छिंदवाड़ाMay 08, 2024 / 06:28 pm

prabha shankar

Water Supply System:

धरमटेकड़ी वाटर सप्लाई सिस्टम

Water Supply System: शहर की आबादी लगातार बढ़ रही है। सवा लाख की आबादी आज दोगुनी होकर ढाई लाख से अधिक है। ऐसे में पेयजल एवं निस्तार के पानी की जरूरत भी लगातार बढ़ी है। पूर्व में जहां शहर 11 वर्ग किमी में समाया था, आज 110 वर्ग किमी का दायरा हो चुका है। उस समय शहर में 39 वार्ड थे जो कि नगर निगम के रूप में आज 48 वार्ड हो चुके हैं। पानी की जरूरत पूरी करने के लिए बोर एवं ट्यूबवेल के माध्यम से लगातार भूमिगत जल का दोहन हुआ है।
जलस्तर लगातार गिरा है और वर्तमान स्थिति में कम से कम 600 फीट नीचे गहराई तक बोर करने के बाद पानी मिल रहा है। इस बीच पेयजल को लेकर लगातार योजनाएं बनती रहीं, काम हुआ तो पहले कुलबेहरा नदी पर कन्हरगांव डैम और बाद में पेंच नदी पर माचागोरा डैम वर्तमान समय में पानी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बन चुके हैं।
विगत साल तक 150 से अधिक बोर में से 50 बोर बंद हो चुके हैं। 105 बोर संचालित हैं, जिनके बिजली बिल आज भी नगर निगम चुकता कर रहा है। उपयंत्री अभिनव तिवारी ने बताया कि शहर में पानी की सप्लाई के लिए नगर निगम का पेयजल विभाग 49 एमएलडी से अधिक पानी विभिन्न जलस्रोतों से लेता है। वर्तमान आंकड़ों की मानें तो प्रतिदिन कन्हरगांव डैम से 19 एमएलडी, कुलबेहरा नदी पर बने एनीकट से 10 एमएलडी, माचागोरा डैम से 18 एमएलडी और लगभग डेढ़ से दो एमएलडी भूमिगत पानी को ट्यूबवेल की सहायता से शहर को सप्लाई किया जाता है।

शहर में डैम की स्थिति

1986 में कन्हरगांव डैम, 1988 माचागोरा डैम के निर्माण का काम शुरू हुआ। जहां कन्हरगांव डैम 1994 में अस्तित्व में आ गया वहीं माचागोरा जलाशय 2017 में शुरू हुआ। कन्हरगांव डैम में पूरी क्षमता से पानी भरने पर 23.06 एमसीएम पानी भर जाता है, वहीं माचागोरा की क्षमता 421.2 एमसीएम है। सहायक यंत्री विवेक चौहान ने बताया कि दोनों ही बांधों की सहायता से 30 जून तक प्रतिदिन पानी की सप्लाई हो जाती है। आज के परिदृश्य में दोनों ही बांधों से भरतादेव के 27 एमएलडी के दो फिल्टर प्लांट एवं धरमटेकरी के 22 एमएलडी के फिल्टर प्लांट को पानी सप्लाई किया जा रहा है। वर्तमान में शहर की 57 पानी की टंकियों को भरकर 37 हजार से अधिक नलजल उपभोक्ताओं को प्रतिदिन पानी की सप्लाई की जा रही है।

टॉपिक एक्सपर्ट

वाटर हार्वेस्टिंग में शुद्धता जरूरी
वाटर
हार्वेस्टिंग से भूमिगत जल का रिचार्ज किया जा सकता है। जो जल स्रोत जितना पानी दे सकता है, वह उतना ही पानी ले भी सकता है, लेकिन आज के समय में सबसे बड़ी समस्या पानी की अशुद्धता हो चुकी है। हम सभी को भूमिगत जल रिचार्ज करने के पूर्व उसकी शुद्धता को भी ध्यान देना होगा। जिन घरों में वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है, उसकी छत को बारिश के पहले अच्छे से साफ करना चाहिए। ताकि फूल-पत्तियोंं सहित दूसरे सडऩे वाले पदार्थ सॉकपिट में न जाएं। सॉकपिट के पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मल जल युक्त पानी को भी भूमिगत होने से रोकना चाहिए। तेल युक्त पानी भूमिगत रिचार्ज के छिद्र बंद कर सकता है, इसलिए सॉकपिट में मटका एवं नारियल की जटा का उपयोग करके शुद्ध पानी से रिचार्ज करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
आरजी सूर्यवंशीअधीक्षण यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी छिंदवाड़ा

Hindi News/ Chhindwara / Water crisis: बढ़ती आबादी की प्यास बुझाने में अब कामयाब नहीं बोर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो