शहर में डैम की स्थिति
1986 में कन्हरगांव डैम, 1988 माचागोरा डैम के निर्माण का काम शुरू हुआ। जहां कन्हरगांव डैम 1994 में अस्तित्व में आ गया वहीं माचागोरा जलाशय 2017 में शुरू हुआ। कन्हरगांव डैम में पूरी क्षमता से पानी भरने पर 23.06 एमसीएम पानी भर जाता है, वहीं माचागोरा की क्षमता 421.2 एमसीएम है। सहायक यंत्री विवेक चौहान ने बताया कि दोनों ही बांधों की सहायता से 30 जून तक प्रतिदिन पानी की सप्लाई हो जाती है। आज के परिदृश्य में दोनों ही बांधों से भरतादेव के 27 एमएलडी के दो फिल्टर प्लांट एवं धरमटेकरी के 22 एमएलडी के फिल्टर प्लांट को पानी सप्लाई किया जा रहा है। वर्तमान में शहर की 57 पानी की टंकियों को भरकर 37 हजार से अधिक नलजल उपभोक्ताओं को प्रतिदिन पानी की सप्लाई की जा रही है।
टॉपिक एक्सपर्ट
वाटर हार्वेस्टिंग में शुद्धता जरूरीवाटर हार्वेस्टिंग से भूमिगत जल का रिचार्ज किया जा सकता है। जो जल स्रोत जितना पानी दे सकता है, वह उतना ही पानी ले भी सकता है, लेकिन आज के समय में सबसे बड़ी समस्या पानी की अशुद्धता हो चुकी है। हम सभी को भूमिगत जल रिचार्ज करने के पूर्व उसकी शुद्धता को भी ध्यान देना होगा। जिन घरों में वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है, उसकी छत को बारिश के पहले अच्छे से साफ करना चाहिए। ताकि फूल-पत्तियोंं सहित दूसरे सडऩे वाले पदार्थ सॉकपिट में न जाएं। सॉकपिट के पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मल जल युक्त पानी को भी भूमिगत होने से रोकना चाहिए। तेल युक्त पानी भूमिगत रिचार्ज के छिद्र बंद कर सकता है, इसलिए सॉकपिट में मटका एवं नारियल की जटा का उपयोग करके शुद्ध पानी से रिचार्ज करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
आरजी सूर्यवंशीअधीक्षण यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी छिंदवाड़ा