छिंदवाड़ा

Tourism: कोरोना के बाद प्रकृति से बढ़ा प्रेम

पर्यटकों से गुलजार हुईं पातालकोट की वादियां

छिंदवाड़ाOct 12, 2021 / 10:52 am

prabha shankar

chhindwara

छिंदवाड़ा। तामिया और पातालकोट की सुरमई वादियां पर्यटकों से गुलजार हैं। बारिश ने खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है। नजरों के सामने सिर्फ हरियाली दिखाई दे रही है। प्रकृति की अनमोल खूबसूरती को निहारने बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। यहां के पर्यटन स्थल सैलानियों की पहली पसंद बन गए हैं। वैसे तो प्रतिवर्ष 365 दिन पातालकोट को देखने पर्यटक आते हैं, लेकिन कोरोना के बाद लोगों का प्रकृति के प्रति प्रेम बढ़ गया है। वीकेंड में तो मेला सा नजारा देखने को मिल रहा है। शनिवार और रविवार को तामिया के होटल और गेस्ट हाउस में बड़ी मशक्कत के बाद जगह मिल रही है। सबसे ज्यादा नागपुर के सैलीनी पहुंच रहे हैं। इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर समेत अन्य जगहों से भी लोग आ रहे हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय निवासियों को रोजगार मिलने के साथ आय में बढ़ोतरी हुई है।

पर्यटकों का क्यों बढ़ रहा रुझान
पातालकोट की विशाल घाटी में हमेशा हरियाली रहती है। प्रकृति, संस्कृति, पारंपरिक जीवन शैली, एडवेंचर, जमीन से जुड़ाव लोगों को यहां खींच लाता है। पातालकोट में सुकून और शांति मिलती है। झिंगरिया जलप्रपात, प्रतापगढ़ पहाड़, अंधेरी गुफा, हिल स्टेशन, वन संपदा लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। पातालकोट में एक दर्जन से अधिक ट्रैक उपलब्ध हैं। जहां एक घंटे से दो दिन तक ट्रैकिंग की जा सकती है। बाइकर्स के लिए भी ट्रैक मौजूद हैं। पातालकोट के व्यू प्वाइंट की बात करें तो चिमटीपुर, रातेड़, अंबामाई, तालाबढाना, गैलडूब्बा प्रसिद्ध हंै। छोटा महादेव, तुलतुला नैनादेवी, चंडीमाई, गिरजामाई, ग्वालबाबा, अंबामाई मंदिरों में श्रद्धालु की भीड़ उमड़ रही है। पातालकोट से पेंच नदी, दूधी नदी, सीता रेवा नदी और देवना नदी बहती है।

पातालकोट की रसोई का स्वाद
पातालकोट में पर्यटकों को मक्के की रोटी और देसी टमाटर की चटनी का स्वाद मिलता है। टूरिज्म प्रमोटर पवन श्रीवास्तव पातालकोट की रसोई के माध्यम से पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा दे रहे हैं। पातालकोट की रसोई में मक्के की रोटी, महुआ की पूड़ी, गेहूं-चना की रोटी, देसी टमाटर की चटनी, चने की भाजी, बड़ी की सब्जी, कुटकी का भात, बरबटी की दाल और गेहूं का पापड़ दिया जाता है।

वन सारथी प्रशिक्षण कार्यक्रम
पातालकोट में जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद द्वारा वन सारथी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें युवाओं को गाइड के रूप में तैयार करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। पर्यटकों के लिए स्थलों की ट्रैकिंग के रूट खोजे गए। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम (एमपीटी) द्वारा पूरे क्षेत्र की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी कराकर वेबसाइट पर अपलोड किया गया, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिले। यहां की संस्कृति, धरोहर, प्राचीन परंपरा यथावत रहे इसके लिए रहवासियों के साथ बैठकर कई बार विचार-विमर्श किया गया। एमपीटी द्वारा तैयार धरोहर को भी किसी एजेंसी को लंबे समय तक के लिए सौंपने की कार्ययोजना है, जिससे पर्यटकों को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

स्थानीय लोगों की कम सहभागिता
पातालकोट में पर्यटन जरूर बढ़ा है, लेकिन स्थानीय लोगों की सहभागिता कम देखने को मिल रही है। इसकी सबसे प्रमुख वजह पर्यटन में निरंतरता की कमी है। शासन-प्रशासन पर्यटन के क्षेत्र में विशेष कार्य नहीं कर रहा है। बाहरी निवेश से क्षेत्र अछूता है। पर्यटन के क्षेत्र में विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं। स्थानीय लोगों की मांग और आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एडवेंचर गेम्स बंद होने से स्थानीय लोगों में निराशा है।


पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मेरी परिकल्पना साकार हो रही है। मैंने जो सपना देखा था, वह पूरा हो रहा है। कोरोना के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, लेकिन स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहयोग और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर अवसर उपलब्ध कराना चाहिए। यहां के लोगों को यहीं रोजगार मिले, इसके प्रयास होने चाहिए।
पवन श्रीवास्तव, समाजसेवी एवं टूरिज्म प्रमोटर

पातालकोट में पर्यटन को बढ़ावा देने के विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम कई तरह की गतिविधियां संचालित कर रहा है। अलग-अलग एजेंसियों द्वारा भी क्षेत्र का भ्रमण किया जा रहा है। लंबे समय तक एडवेंचर स्पोट्र्स के भी प्रयास किए जा रहे हैं। पातालकोट के उत्थान और यहां की संस्कृति से लोगों को परिचय कराने के लिए कार्य किया जा रहा है।
विनोद तिवारी, रिसोर्स पर्सन, जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद

पातालकोट में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन की तरफ से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। दिसंबर से एडवेंचर गेम्स आयोजित किए जाएंगे। एडवेंचर गेम्स को लंबे समय तक आयोजित करने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भारिया संस्कृति केंद्र की स्थापना होनी है। भूमि का चयन कर प्रस्ताव भेज दिया गया है। शीघ्र ही निर्माण आरंभ हो जाएगा।
सौरभ कुमार सुमन, कलेक्टर

Hindi News / Chhindwara / Tourism: कोरोना के बाद प्रकृति से बढ़ा प्रेम

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.