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छिंदवाड़ा

नगर निगम में बदल गई दलीय स्थिति, भाजपा पार्षदों का दबदबा

अब महापौर के फैसले पर टिका एमआईसी का भविष्य

छिंदवाड़ाMay 07, 2024 / 07:36 pm

mantosh singh

अब महापौर के फैसले पर टिका एमआईसी का भविष्य

अब महापौर के फैसले पर टिका एमआईसी का भविष्य

छिंदवाड़ा. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 13 पार्षदों के भाजपा में शामिल होने से नगर निगम में दलीय स्थिति पूरी तरह बदल गई है। भाजपा के दबदबे से कांग्रेस की परिषद का भविष्य खतरे में दिखाई देने लगा है। महापौर की दलीय स्थिति अभी साफ नहीं हैं। उनके फैसले पर एमआईसी का भविष्य टिका है। भाजपा का एक गुट निगम की सत्ता में उलटफेर करने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने का इंतजार कर रहा है।
इस चुनाव में भाजपा-कांग्रेस उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला चार जून को तय हो जाएगा। उसके बाद नगर निगम में नई राजनीतिक लड़ाई शुरू होगी। पहली निगम की सत्ता में हिस्सेदारी के बंटवारा पर होगी। दूसरी नई मेयर-इन-काउंसिल का गठन और अविश्वास प्रस्ताव जैसे मुद्दों पर होगी। निगम पार्षदों में इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं। पार्षदों का कहना है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता छह जून को खत्म हो जाएगी, वैसे ही निगम की सत्ता की लड़ाई चरम पर पहुंच जाएगी। इसका परिणाम कांग्रेस परिषद की विदाई होगी। भाजपा पूरी तरह सत्ता में आ जाएगी।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पास 28 और भाजपा के पास 20 पार्षद थे। चुनाव प्रचार के दौरान 13 कांग्रेस पार्षदों के दलबदल करने से भाजपा के पास 33 पार्षद हो गए हैं। जबकि कांग्रेस के पास केवल 15 पार्षद शेष रह गए हैं। इससे भाजपा बहुमत में आ गई है तो वहीं कांग्रेस अल्पमत में रह गई है। इससे निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की संभावना भी बन रही है।
महापौर विक्रम अहके ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के समक्ष कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली थी। उसके बाद वे लोकसभा चुनाव के मतदान के अंतिम दिन 19 अप्रेल को पलट गए और कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ के पक्ष में आ गए। उसके बाद कांग्रेस ने उनकी वापसी पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे वे इस समय न तो भाजपा में और ना ही कांग्रेस में है। यदि वे अपनी स्थिति पुन: भाजपा के पक्ष में साफ करते हैं तो निगम में भाजपा की मेयर-इन-काउंसिल बन जाएगा। हालांकि महापौर विक्रम अहके ने बातचीत में सिर्फ यही कहा कि समय का इंतजार करिए। सब अच्छा होगा।
नगर निगम में सत्तारूढ़ कांग्रेस परिषद के तीन माह बाद अगस्त में दो साल पूरे जाएंगे। पार्षदों के एक वर्ग का मानना है कि ये कार्यकाल पूरा होने पर ही निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है। इस दौरान कांग्रेस की कोई मजबूत स्थिति बनी रही तो भाजपा को फिर सत्ता में आने का इंतजार करना पड़ सकता है। फिलहाल सभी राजनीतिक स्थिति पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।

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