मंडियों में आंबिया संतरे को कैरेट में भरकर देशभर की मंडियों में भेजा जा रहा है। किसानों को प्रति कैरेट 400 रुपये तक का मूल्य मिल रहा है। एक कैरेट में लगभग 20-22 किलो संतरे आते हैं, जिससे संतरे का औसत मूल्य 15-20 रुपए प्रति किलो रह गया है। संतरा एक प्रीमियम फल माना जाता है। अन्य फल जैसे आम, अंगूर और सेब के दाम बाजार में 120 से 150 रुपए प्रति किलो मिलते हैं। किसानों का कहना है कि संतरे का मूल्य कम से कम 30-40 रुपए प्रति किलो मिलना चाहिए ताकि उन्हें उचित लाभ मिल सके।
पिछले तीन वर्षों में बांग्लादेश सरकार ने संतरे पर इंपोर्ट टैक्स चार गुना बढ़ा दिया है, जिससे वहां संतरे का निर्यात महंगा हो गया है। इंपोर्ट टैक्स के चलते कई बार व्यापार प्रभावित रहा, लेकिन बांग्लादेश सरकार ने इस पर कोई ढील नहीं दी। नतीजतन, किसानों को अपनी अच्छी गुणवत्ता के फलों का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
इस साल असामान्य बारिश के कारण बागानों में संतरे को गलन की समस्या का सामना करना पड़ा। फल की प्राकृतिक आकृति और आकार पर मौसम का असर पड़ा, जिससे कुछ फल छोटे रह गए तो कुछ पूरी तरह से परिपक्व नहीं हो पाए। प्राकृतिक आपदा से हुए इस नुकसान ने भी किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
संतरे की फसल साल में दो बार आती है, आंबिया और मृग बहार। इससे मजदूरों को तुरंत रोजगार प्राप्त होता है। बागानों से तुड़ाई से लेकर मंडियों में पैकिंग तक हर दिन प्रत्येक मंडी में 100 से अधिक मजदूरों को काम मिलता है। पांढुर्ना में करीब 12 से 15 संतरा मंडियों का संचालन हो रहा है, जिससे लगभग 1500 से 2000 मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। किसानों और व्यापारियों की मांग है कि क्षेत्र में संतरा आधारित किसी बड़े उद्योग की स्थापना की जाए ताकि संतरों से अधिक लाभ और रोजगार प्राप्त किया जा सके।