शहर की सडक़ों पर निगम के हांका गैंग की मदद से रखे जाने वाले गोवंश को पाठाढ़ाना गोवंश कांजी हाउस में रखा जाता है। पालकों की आय में इजाफा करने वाली गायों को तो वे छुड़ा लेते है, लेेकिन दूध न देने वाली गायों की तरफ पालक ध्यान भी नहीं देते। इससे गोशाला में गायों के रखरखाव का खर्च बढ़ता जाता है। निगम के स्वास्थ्य अधिकारी अनिल मालवी ने बताया कि कांजी हाउस में पकड़ी गई गायों के पालकों से सालभर में करीब साढ़े आठ हजार रुपए बतौर जुर्माना वसूला गया है, लेकिन पाठाढ़ाना गोशाला कांजी हाउस के कर्मचारियों, भूसें, ट्रैक्टर डीजल, गोवंश का मेडिकल आदि खर्च मिलाकर साल भर में आठ लाख रुपए से भी अधिक खर्च है। निगम के बजट में भी इस वर्ष कांजी हाउस से अनुमानित आय एक लाख 20 हजार रुपए रखा है, जबकि कांजी हाउस के मरम्मत में व्यय के लिए 20 लाख रुपए तय किए हैं।
सडक़ों पर खुला छोड़ देने के बाद निगम गोवंशों को पकडकऱ कांजी हाउस में रखता है। उन्हें तभी छोड़ा जाता है जब पालक 500 रुपए जुर्माना व 100 रुपए प्रतिदिन की खुराकी जमा करें। दुधारू गायों को तो पालक जल्द ले जाते हैं, लेकिन बूढ़ी, कमजोर, बीमार एवं दूध न देने वाली गायों को लेने नहीं पहुंचते हैं। इसके कारण इन सब गायों की देखरेख की जिम्मेदारी निगम पर आ जाती है। पाठाढाना गोशाला में 150 गोवंशों के देखरेख की क्षमता है, फिलहाल 140 गोवंश गोशाला में मौजूद हैं। हालांकि शहर में अभी भी गर्मी के दिनों में गोवंशों को सडक़ों पर देखा जा सकता है, बारिश के दौरान पकड़े जाने पर पाठाढ़ाना गोशाला में खुराक का और दबाव बढ़ेगा। स्वास्थ्य अधिकारी अनिल मालवी ने बताया कि गोवंश के खुराक के लिए निगम से भूसे के अलावा कई सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग मिलने लगा है। साथ ही गुरैया सब्जी मंडी से सब्जियां भी गोशाला पहुंच रही हैं।