छिंदवाड़ा

Ravana Dahan : यहां नहीं होता रावण दहन, मां दुर्गा की तरह 9 दिनों तक होती है इसकी पूजा

Ravana Dahan : हमेशा की ही तरह इस साल 12 अक्टूबर को देश के कोने-कोने में रावण दहन की परंपरा को निभाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसे कई लोग है जो विजयादशमी पर माता दुर्गा की नहीं बल्कि रावण की मूर्ति स्थापित कर पूरे नौ दिनों तक उसकी पूजा करते हैं।

छिंदवाड़ाOct 12, 2024 / 10:36 am

Avantika Pandey

Ravana Dahan : देशभर में हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार विजयादशमी पूरे धूम-धाम से मनाई जाती है। आतिशबाजी की गूंज और चमकते आसमान के साथ लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हुए लंकापति रावण का पुतला जलाते हैं। ये परंपरा हजारों सालों से चलती आ रही है। इस साल 12 अक्टूबर को भी देश के कोने-कोने में रावण दहन की परंपरा को निभाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसे भी कई लोग है जो इस दौरान माता दुर्गा की नहीं बल्कि रावण की मूर्ति स्थापित कर पूरे नौ दिनों तक उसकी पूजा करते हैं। ऐसी भी जगह मौजूद है जहां पर बकायदे रावण का मंदिर स्थापित है जिससे लोगों की अटूट आस्था जुडी हुई है।
कई जगह ऐसी भी है जहां कभी भी लंकापति रावण का पुतले जलाया नहीं गया। बल्कि वहां के लोगों के मन में रावण के लिए भगवान के सामान ही आदर और प्रेम भाव भरा हुआ है। और वे रावण को भगवान की ही तरह पूजते है।

मां दुर्गा की तरह 9 दिन तक स्थापित होती है मूर्ति

एमपी के छिंदवाड़ा जिले में एक ऐसा गांव मौजूद है, जहां मां दुर्गा की नहीं बल्कि रावण की मूर्ति 9 दिनों तक स्थापित की जाती है। भक्त पूरे विधि-विधान से उसकी पूजा करते हैं। गांव का नाम जमुनिया है जहां आदिवासी निवास करते है। उनका मानना है कि भगवान शिव आदिवासी समाज के देवता है और रावण उन्ही का भक्त है। जिस वजह से वे रावण को देवता की तरह पूजते है। रावण के साथ ही यहां उसके बेटे मेघनाथ की भी पूजा की जाती है।
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यहां है रावण का मंदिर

वहीं भारत के दिल में वसे मध्यप्रदेश के ऐसे कई लोग है जिनके दिल में रावण के लिए असीम आस्था और प्रेम भरा हुआ है। दरअसल एमपी के विदिशा जिले नटेरन तहसील में रावण का सैकड़ों साल पुराना मंदिर मौजूद है। जहां रोजाना भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं है जो देशभर में प्रचलित हैं।
vidisha ravan baba mandir
भक्तों का मानना है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले रावण बाबा का आशीर्वाद लेने से वो काम बिना किसी रूकावट के पूरा हो जाता है। इसके आलावा दशरें के समय पूरे विधि-विधान के साथ इस मंदिर में रावण की पूजा की जाती है।

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