दवाइयां खरीद रहे बाहर से
ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की बात की जाए तो उन्हें कई प्रकार की दवाइयां दवा वितरण केंद्र से नहीं मिल पा रही हैं। वहां से एंटीबायोटिक, शुगर, बीपी, खांसी की सीरप, बच्चों की एंटीवायटिक, दर्द व सूजन की दवा, उल्टी, एंटी एलर्जी, हायर एंटीवायटिक, महिलाओं का प्रोटीन पाउडर, ताकत का सीरप, आयरन का सीरप, हार्ट की दवाइयां, गला इंफेक्शन की दवाइयां नहीं मिल रही हैं, जिससे वे बाहर से दवाइयां खरीद रहे हंै। सूत्रों की मानें तो दवा वितरण केंद्र में 75 प्रतिशत दवाइयों का टोटा बना हुआ है, जिसे प्रबंधन सिरे से नकार रहा है।
बाहर की दवाएं ना लिखने के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग के निर्देश की बात की जाए तो जिला अस्पताल की ओपीडी में बैठे डॉक्टरों को मरीजों को बाहर की दवाइयां नहीं लिखनी हैं, लेकिन फिर भी डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि डॉक्टर जो दवाइयां लिख रहे हैं, उसकी कई प्रकार की दवाइयों में से कुछ जिला अस्पताल के दवा वितरण केंद्र में उपलब्ध हैं। ज्यादातर उपलब्ध नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें वह दवाइयां लिखनी पड़ रही हैं, ताकि मरीज जल्दी ठीक हो जाए। जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीज टिटनेस इंजेक्शन के लिए भी परेशान होते हैं।
जिला अस्पताल में दवाइयों की कोई कमी नहीं है। जितनी उपलब्धता होती है उतनी दवाइयों स्टोर में उपलब्ध है। टिटनेस इंजेक्शन की बात की जाए तो उसकी सप्लाई शासन की ओर से नहीं हो रही है। कई बार स्थानीय स्तर पर खरीदी की जाती है।
डॉ एमके सोनिया, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, छिंदवाड़ा