कुएं का पानी महत्वपूर्ण मंदिर के पुजारियों और बुजुर्गों के अनुसार मां षष्ठी की प्रतिमा गांव के ही श्रीवास्तव परिवार के सदस्य को अपने खेत में कुएं की खुदाई के दौरान मिली थीं। इसके बाद माता की स्थापना की गई। माना जाता है उस कुएं का पानी पीने से भी मुरादें पूरी होती हैं। पुराने कपड़े उतारने के बाद बच्चों को इसी कुएं के पानी से नहलाने का चलन है।
जगमगा रहे हैं ज्योति कलश मां षष्ठी के सिद्धपीठ धाम कपुर्दा में शारदेय और चैत्र नवरात्र में भक्तों द्वारा मनोकामना कलश स्थापित कराए जाते हैं। इस वर्ष शारदेय नवरात्र पर यहां 1401 मनोकामना कलश भक्तों ने स्थापित कराए हैं। बहरहाल, प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचकर दर्शन और पूजन कर रहे हैं।
मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हैं गुड़ का प्रसाद माता षष्ठी के सिद्धपीठ धाम में जब मां भक्तों की कामना पूरी होती है तो भक्त बच्चे या जिसके नाम पर मन्नत मांगी जाती है उनके वजन के बराबर या उससे अधिक गुड़ का प्रसाद चढ़ाते हैं। खास बात यह है कि इस प्रसाद को चढ़ाने वाले भक्त के घर परिवार के लोग नहीं खाते, इसे मंदिर में मौजूद भक्तों में बांटा जाता है।
मंगलवार और शनिवार को रहती है भीड़ मां षष्ठी के कपुर्दा स्थित धाम में दूर-दूर से भक्तगण दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां मंगलवार और शनिवार को भक्तो की भीड़ ज्यादा देखने को मिलती हैं। दोनों दिन यहां मेले जैसा माहौल रहता है। ऐसा माना जाता है कि मंगलवार और शनिवार को मां के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है। यहां चैत्र और शारदेय नवरात्र पर्व के साथ-साथ पूरे वर्ष भर माता रानी के दरबार में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।