तीन साल से भटकने पर भी नहीं आया नाम
जून के बाद अब जुलाई में ऐसे परिवार प्रतिदिन कलेक्ट्रेट आकर चक्कर लगा रहे हैं। खाद्य आपूर्ति शाखा के पास उन्हें बैठे देखा जा सकता है। सुकलूढाना से आई महिला रामवती मर्सकोले का कहना था कि पिछले तीन साल से पात्रता पर्ची के लिए चक्कर लगाते-लगाते थक गए। अभी तक उनका नाम नहीं आया है। इससे राशन दुकान में अनाज नहीं मिलता है। यही हाल दूसरे गरीब परिवारों के हंै, जिन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
अपात्रों के कारण गरीबों की फजीहत
पूरे जिले में 25 कैटेगरी में राशन के पात्र परिवारों को शामिल किया गया है। इसके चलते हालत यह है कि जिले की 22 लाख आबादी में से 16 लाख के नाम राशन के पात्र में शामिल हैं। इनमें कई धनाढ्य और रसूखदार परिवार शामिल हैं। जिनके नाम न काटने की वजह से जरूरतमंद गरीब परिवारों को फजीहत हो रही है। इस पर कोई जांच अभियान अभी तक नहीं चलाया गया है।