kisan bill: जनसंघर्ष मोर्चा ने किसान बिल को लेकर कही यह बड़ी बात
छिंदवाड़ा. जनसंघर्ष मोर्चा ने सरकार द्वारा किसानों के लिए लाए गए तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर मंगलवार को राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान जनसंघर्ष मोर्चा में शामिल हिन्द मजदूर किसान पंचायत, सीटू, एमपीएमएसआरयू, बीएसपी सहित अन्य संघ के सदस्य मौजूद रहे। ज्ञापन के माध्यम से हिन्द मजदूर किसान पंचायत मप्र के महासचिव डीके प्रजापति ने बताया की केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में परिवर्तनकिया है 1955 में लागू किया गया यह कानून, सरकार को पूंजीपतियों और कंपनियों द्वारा खाद्यान्न के भंडारण और मूल्य को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। लेकिन केंद्र सरकार का नया कानून उक्त कानून को निष्प्रभावी बनाता है। यदि अतिभंडारण (स्टॉक पिलिंग) और कीमतों पर सभी प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं, तो बड़े व्यापारिक संगठन, कंपनियां, पूंजीपति बड़े पैमाने पर स्टॉकपाइल्स बनाएंगे, बाजार में भोजन की कमी पैदा करेंगे और कीमतें बढ़ाएंगे। इसके अलावा अनुबंध खेती अधिनियम किसी भी कृषि प्रसंस्करण कंपनी, पूंजीपति व्यापारी या कृषि कंपनी को किसानों के साथ कृषि समझौतों में प्रवेश करने की अनुमति देता है। इस अधिनियम के माध्यम से छोटे किसानों के कृषि भूमि के स्वामित्व को समाप्त कर दिया जाएगा। इससे यह स्पष्ट है कि सरकार आजादी के बाद खत्म कि गई जमींदारी प्रथा को एक नए रूप में स्थापित करने जा रही है। नए कानून ने देश में निजी पुंजीपतियों के बाजार को बढ़ावा देने का एक रास्ता खोल दिया है। नए संशोधन से कृषि उपज खरीद बिक्री की व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी। तीनों कानूनों बड़े व्यापारियों और कंपनियों के लिए कृषि व्यवसाय पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करना आसान बना देगा अगर एपीएमसी का प्रचलित प्रभुत्व नष्ट हो जाता है, तो निजी ऑपरेटर, व्यापारी, कृषि दरों को नियंत्रित करेंगे। जनसंघर्ष मोर्चा ने ज्ञापन सौंपकर किसानो के लिए लाए गए तीनो कानूनों को तत्काल प्रभाव से रद् किए जाने की मांग की। ज्ञापन सौंपने के दौरान टीऐ सब्ज्वारी, सलिल शुक्ला, अशोक भारती, महेश सोनी, बीएस दवंडे, धन्नालाल यादव, हीरा सिंह रघुवंशी, सुषमा प्रजापति, उषा भारती, शोभा शर्मा सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।