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छिंदवाड़ा

इस बार दो रास्तों से होगी मानसरोवर यात्रा

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पंजीयन 23 तक, यात्रा में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ हिमपर्वतों का रोमांचक अनुभव

छिंदवाड़ाMar 06, 2018 / 12:44 am

prabha shankar

Kailash Mansarovar Yatra

Kailash Mansarovar Yatra

छिंदवाड़ा . हिंदू धार्मिक स्थलों में सबसे कठिन मानी जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए पंजीयन शुरू हो गए हैं। पंजीयन ऑनलाइन किए जा रहे हैं। 23 मार्च तक आने वाले पंजीयनों के बाद इनमें से ड्रा निकाले जाएंगे और पूरे देश से इस बार 1580 यात्रियों का चयन किया जाएगा। यह यात्रा जून से सितम्बर तक होनी है। ध्यान रहे धार्मिक यात्राओं में यह यात्रा सबसे कठिन मानी जाती है। इसके लिए यात्रियों को विशेष चिकित्सकीय परीक्षण से गुजरना होता है और 18 वर्ष से कम और 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इस यात्रा में शामिल नहीं किया जाता। भारत सरकार का विदेश मंत्रालय यह यात्रा कराता है और इसमें यात्री के लिए पासपोर्ट होना भी जरूरी है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा अपने धार्मिक मूल्यों, सांस्कृतिक महत्व, नैसर्गिक सौंदर्य, खूबसूरती और रोमांचक प्रकृति के लिए जानी जाती है। भगवान शिव के निवास के रूप में हिंदुओं के लिए अति महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ बौद्ध धर्म के लिए भी धार्मिक महत्व रखती है।
छिंदवाड़ा में शिवशक्ति सेवा मंडल जाने के इच्छुक यात्रियों का पंजीयन निशुल्क करा रहा है। मंडल के सेवादार कृष्णा सेठिया ने बताया मंडल इस धार्मिक यात्रा के लिए जो जाना चाहते हैं उन्हें पूरा सहयोग किया जाएगा। मंडल हर वर्ष अमरनाथ जाने वाले यात्रियों को भी पूरी मदद करता है। सेठिया ने बताया कि मंडल पूरी यात्रा के दौरान उनसे सम्पर्क में रहने वाले यात्रियों के हाल-चाल लेता है और रास्ते में किसी प्रकार की कठिनाई होने पर मदद भी उपलब्ध कराता है।

पहली बार नाथुला दर्रा से शुरू होगी यात्रा
सक्किम के बागडोगरा गंगटोक होते हुए नाथुला दर्रा के नए मार्ग से भी इस बार यह विशेष और रोमांचक यात्रा लोग कर सकेंगे। तिब्बत स्वायत चीन में प्रवेश करते हुए पावन कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की परिक्रमा यात्री करते हैं। इस मार्ग में दिल्ली से बागडोगरा तक हवाई यात्रा कर पहुंचा जाता है। इसके बाद पूरी यात्रा सडक़ मार्ग से होती है। यह मार्ग इसी वर्ष भारत सरकार के अथक प्रयासों से प्रारम्भ हुआ है। इस मार्ग से 10 जत्थों के माध्यम से 500 यात्री यात्रा करेंगे जो 21 दिनों में सम्पन होगी। अब तक लिपुलेख दर्रा से ही यह यात्रा कराई जाती रही है। कुमाऊं मंडल उत्तराखंड के अल्मोड़ा, धारचूला, नारायणस्वामी आश्रम, सिरखा, गाला, बुधि, गूंजी, कालापानी होकर लिपुलेख दर्रा के पारम्परिक मार्ग से तिब्बत स्वायत चीन में प्रवेश करते हुए यात्री पावन कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की परिक्रमा की जाती है। यात्रा के दौरान यात्री पर्यटन और धार्मिक महत्व के अनेक स्थलों से गुजरते हैं। इस मार्ग से 18 जत्थों के माध्यम से 1080 यात्री यात्रा करेंगे जो 24 दिनों में सम्पन्न होती है।

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