स्थिति यह है कि रात में किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाए तो कोई सुनने वाला तक नहीं है। लोगों की सुविधा के लिए परिसर में डॉक्टरों के मोबाइल नम्बरों की पर्ची चस्पा की गई है। लेकिन उन नम्बरों को कॉल करने पर अभद्रता की जाती है। सिंगोड़ी क्वॉरंटीन सेंटर में हम 13 लोग है, जिनमें से कुछ जिला अस्पताल से शिफ्ट किए गए है तथा एक सप्ताह से ज्यादा समय होने के बावजूद छुट्टी की जा रही है न ही उपचार दिया जा रहा है।
सप्ताह से नहीं होती सफाई –
सेंटर के हालात ऐसे है कि कई-कई दिनों तक साफ-सफाई नहीं होती है। शौचालय इतना गंदा है कि कोई थूकना भी नहीं चाहेगा। पीडि़तों ने बताया कि शुरुआत में नाममात्र खाना दिया जाता था, विरोध करने पर अब पर्याप्त भोजन देते है।
कलेक्टर से लेकर कई अधिकारियों की है नजर में –
शासन द्वारा निर्धारित सिंगोड़ी क्वॉरंटीन सेंटर कलेक्टर, सीएमएचओ से लेकर कई अधिकारियों की नजरों में है तथा कई बार औचक निरीक्षण भी किया गया है। हर बार अधिकारी सब कुछ ठीक होने का दावा करते है, पर इस तरह के मामलों से हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
मेरा काम ओपीडी का नहीं –
मैं सेम्पलिंग और अन्य व्यवस्थाएं देखता हूं, मेरा काम ओपीडी का नहीं है। सेंटर में किसी ने जबरन में मेरा मोबाइल नम्बर लिख दिया होगा।
– डॉ. मनीष रघुवंशी, सिंगोड़ी
मैं वहीं जाकर जांच करूंगी –
मैं अभी अमरवाड़ा में हूं, मरीजों को फेंककर खाना नहीं दिया जाता है। फिर भी मैं वहीं जाकर मामले की जांच कर स्पष्ट कर पाउंगी।
– डॉ. अर्चना कैथवास, बीएमओ अमरवाड़ा
मामले की जांच कराएंगे –
मामले की जांच कराएंगे तथा इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. जीएस चौरसिया, सीएमएचओ