छिंदवाड़ा

Health services: स्वास्थ्य सेवाओं को नवाचार और कुशल प्रबंधन की दरकार

– हजारों की संख्या में पलायन कर रहे डॉक्टरों के लिए उन नीतियों पर काम करना होगा, जिससे वे सेवा के लिए सहज हो सकें

छिंदवाड़ाJan 31, 2025 / 01:40 am

prabha shankar

Chhindwara medical college

Chhindwara medical college

चिकित्सक का इंतजार करती मरीजों की लम्बी कतार, टूटे स्टे्रचर और व्हील चेयर, वार्ड में क्षमता से ज्यादा मरीज, बेड पर गंदी चादर, खटमल का जमघट, भोजन की निम्न गुणवत्ता, आईसीयू में चूहों की धमाचौकड़ी, संसाधनों की कमी, बिजली गुल होने पर मोबाइल टॉर्च की रोशनी का सहारा….। यह तस्वीर छिंदवाड़ा ही नहीं, बल्कि प्रदेशभर के अधिकांश जिलों की है। पिछड़े इलाकों से लेकर महानगरों तक के शासकीय अस्पताल बदइंतजामी के शिकार हैं। विडम्बना है कि आधी से ज्यादा आबादी इसी व्यवस्था के भरोसे है। यह बदइंतजामी निचले स्तर से शुरू होकर बढ़ते-बढ़ते इतनी जटिल हो जाती है कि सुधार की उम्मीद ही नजर नहीं आती। मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आसानी से उपचार नहीं मिल पा रहा है। वजह, अधिकांश प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में चिकित्सक ही नहीं हैं। हेल्थ डायनामिक्स ऑफ इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों की पीएचसी में डॉक्टरों की कमी के मामले में उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के बाद सबसे खराब स्थिति मध्यप्रदेश की है। प्रदेश में चिकित्सकों के करीब 40 हजार पद खाली हैं। करीब 1500 की आबादी पर एक चिकित्सक है, जबकि डब्ल्यूएचओ गाइडलाइन के मुताबिक यह आबादी एक हजार होनी चाहिए। प्रदेश के करीब डेढ़ करोड़ लोगों को नजदीक में उपचार नहीं मिल पा रहा है। उन्हें मजबूरन जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज जाना पड़ रहा है।
दरअसल, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए इच्छाशक्ति की दरकार तो है, लेकिन इसके पहले आधारभूत संरचना, उपकरण और मौजूदा संसाधनों (मैनपावर) पर जोर देना जरूरी है। इन्हें निचले स्तर से ही नवाचारों और कुशल प्रबंधन के जरिए पटरी पर लाना होगा। प्रदेश में जिस तेजी से मेडिकल कॉलेज और निजी अस्पताल खुल रहे हैं, उस अनुपात में डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। इसके विपरीत हर वर्ष सैकड़ों डॉक्टर मप्र मेडिकल काउंसिल से एनओसी लेकर दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं। पलायन कर रहे डॉक्टरों के लिए उन नीतियों पर काम करना होगा, जिससे वे सेवा के लिए सहज हो सकें। इसके अलावा बजट आवंटन से लेकर तमाम शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन तक शासन-प्रशासन की सख्ती और लगातार निगरानी भी करनी होगी। इसीसे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार सुनिश्चित हो सकेगा।
-प्रभाशंकर गिरी
-prabha.shankar@in.patrika.com

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