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छिंदवाड़ा

Ganesh Utsav 2024: ये है गणेश जी का 1600 साल पुराना मठ, पूजन के प्रमाण आज भी मौजूद

Ganesh Utsav 2024: मध्यप्रदेश के पांढुर्ना में विराजे जाने वाले भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप, बनावट सालों से एक जैसा है……….

छिंदवाड़ाSep 16, 2024 / 05:29 pm

Astha Awasthi

Ganesh Utsav 2024

Ganesh Utsav 2024

Ganesh Utsav 2024: देश भर में गणपति उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा है। भक्तों के विघ्न हरने के लिए गजानन घर-घर विराजे हैं। प्रदेश के पांर्ढुना में भी बप्पा का खास मंदिर है। यहां के 1600 साल पुराने श्री वीरशैव लिंगायत मठ संस्थान जोकि गणपति मठ के नाम से जाना जाता है, वहां सालों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए आस्था और भक्तिभाव से श्री गणेश भगवान की स्थापना की गई है। हर साल एक ही रूप में इस गणेश मठ में बप्पा विराजते हैं।

975 साल पुराना है गणपति मठ

नगर के मध्य शारदा मार्केट में स्थित करीब 1600 साल पुराने श्री वीरशैव लिंगायत मठ संस्थान अर्थात गणपति मठ में भगवान श्रीगणेश की स्थापना कर गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। नवमीं शताब्दी से चली आ रही पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए पूरे आस्था और भक्तिभाव से भगवान गणेश की आराधना हो रही है।
Ganesh Utsav 2024
मठाधिपति के अनुसार गणपति मठ में 975 सालों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा निभाई जा रही है। 975 वर्षों से श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण यहां मौजूद है। मान्यता के अनुसार मध्यप्रदेश राज्य में पांढुर्णा में ही यह एकमात्र गणपति मठ मौजूद है। गणपति मठ में विराजने वाले गणपति बप्पा को क्षेत्रवासी पांढुर्णा का राजा के नाम से भी संबोधित करते है।

हर साल एक जैसी प्रतिमा

यहां पर वर्षों से परंपरा के मुताबिक स्थापना होती है यहां विराजे जाने वाले भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप, बनावट सालों से एक जैसा ही है। यहां स्थापित की जाने वाली गणेश प्रतिमा के निर्माण में भी कई सालों से एकरूपता निभाई जा रही है। पिछले कई वर्षों से शहर के मूर्तिकार एन.खोड़े इस प्रतिमा को साक्षात श्री गणेश का आकार दे आ रहे है। दस दिनों तक शहर के श्रद्धालु बप्पा का आशीर्वाद लेने के लिए मठ में पहुंचते हैं।

हर दिन पहनाए जाते हैं रेशमी वस्त्र

मठ में स्थापित गणेश प्रतिमा की एक और विशेषता है। परंपरा के अनुसार, हर साल भगवान गणेश के माथे और हाथों में शिवलिंग स्थापित किया जाता है। इसके अलावा हर दिन विशेष सजावट की जाती है। भगवान को नए रेशमी वस्त्र पहनाए जाते हैं।

चार पीढ़ियों से जोशी परिवार कर रहा पूजा

मठ में पूजा-अर्चना का जिम्मा पंडित नंदकिशोर जोशी के पास है। जोशी परिवार पिछली चार पीढ़ियों से इस मंदिर में गणेश जी की पूजा-अर्चना करता आ रहा है। इतना ही नहीं मूर्तिकार एन. खोड़े भी कई सालों से परंपरागत तरीके से गणेश प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं।

मनोकामना पूरी करते है बप्पा

पुरातन गणपति मठ से पूरे क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है। गणेशोत्सव के दौरान भगवान श्री गणेश की आराधना करने भक्त भक्ति भाव के साथ यहां पहुंच रहे है। भगवान गणेश इन भक्तों की मनोकामना पूरी करते है। मान्यता है कि गणेश मठ में पहुंचे नि:संतान दपंतियों की बप्पा ने मनोकामना पूरी की है।
वहीं अन्य कई प्रकार की मनोकामनाएं लेकर पहुंचने वाले भक्त भी यहां से खाली हाथ नही लौटते। इस साल भी यहां गणपति बप्पा की आराधना करने भक्तों का मेला लग रहा है। भक्त पहुंचकर गणेशजी के अनुपम रूप के दर्शन कर रहे है।

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