छिंदवाड़ा.दीपावली के आगमन के साथ ही गांवों-कस्बों में मढ़ई-मेलों की लोक संस्कृति झूमते हुए दिखाई देगी। घर-घर में अहीरों की टोलियां खास अंदाज में गीत-तराने गाते हुए पहुंचेगी और उपहार लेंगी। मढ़इयों में नृत्य-गान उत्सव होगा। फिर बच्चे, बूढ़े खिलौनों से लेकर जरूरत के सामान ले जाते दिखाई देंगे। इससे कार्तिक पूर्णिमा तक ग्रामीण अर्थव्यवस्था का ये सिस्टम व्यापारियों और खरीददारों को समृद्ध करता नजर आएगा।
छिंदवाड़ा जिले की करीब 23.74 लाख आबादी में 37 फीसदी आदिवासी है। इसके अलावा दूसरे समाज की जनसंख्या है। ये सभी मिलकर दीपावली के साथ मक्का-सोयाबीन के साथ आनेवाली खुशियों में सहभागी बनते हैं। मुख्य रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था का अंग होने से यह पूरा इलाका फसल आते ही झूम उठता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, गैर-लकड़ी वन उपज, और हस्तशिल्प भी जिले की इकोनॉमी में योगदान देते हैं।
जिले के करीब 2 हजार गांव और शहरी कस्बों में मढ़ई-मेले अब लगने शुरू हो जाएंगे। अगले 15 दिन तक यहां लोक संस्कृति उत्सव की धूम रहेगी। मड़ई ग्रामीण जीवन शैली का प्रतिनिधित्व करेगी। इन मढ़ई मेलों में आसपास की अहीर टोलियां पहुंचेंगी। इसके अलावा आदिवासी वर्ग भी अपने देव पूजन करेगा। कलाकार, गायक भी पहुंचेंगे और अपनी प्रस्तुति देंगे।
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अहीरी नृत्य टोलियां बनेगी आकर्षण का केन्द्र
इन मढ़ई मेले में अहीरी नृत्य टोलियां अलग-अलग वेशभूषा में आकर्षण का केन्द्र रहेंगी। इनके शायराना अंदाज में गीत प्रस्तुति खास होगी। इसके बाद नृत्य देखते ही बनता है। हर मढ़ई मेलों में बच्चे से लेकर युवा और बुजुर्ग नाचते नजर आएंगे। जिन्हें देखने आसपास के लोगों की भीड़ उमड़ेगी।
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खिलौने से लेकर जरूरत का सामान
इन मढ़ई मेलों में बच्चों के खिलौनों से लेकर जरूरत का सामान मिलेगा। इन सामानों की खरीद-फरोख्त से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था चलती है। लोग सामान के जरिए एक-दूसरे को धनराशि देकर एक-दूसरे की जरूरतें पूरा करने के साथ ही समृद्ध बनाते हैं। इससे ही गांव-गांव और कस्बों में छोटा पैसा पहुंचता है। फिर यहीं बड़े व्यापारियों के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था का अंग बनता है।
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तुलसी ग्यारस पर लगेंगे अलग-अलग मेले
दीपावली होने के बाद सबसे बड़ा त्यौहार तुलसी ग्यारस है। आगामी 12 नवम्बर को इस त्यौहार पर हर जगह अलग-अलग मेले लगेंगे। इसका सिलसिला कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा। इस आयोजन में गन्ना के मण्डप पर माता तुलसी की पूजा-अर्चना महिलाएं करेंगी। इसकी धूम भी हर स्थान पर दिखाई देगी।
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