छिंदवाड़ा.सांसद बंटी साहू के मुंबई में तेल कंपनियों के समक्ष एथनॉल में मक्का की जरूरत और छिंदवाड़ा में इसका उत्पादन होने का मुद्दा उठाते ही मक्का फिर सुर्खियां बटोर रहा है। देखा जाए तो पेट्रोलियम समेत दवा व सौंदर्य प्रसाधनों की जरूरत एथनॉल के उत्पादन में छिंदवाड़ा के मक्का की खपत तेजी से बढ़ी है। स्थानीय कंपनियों ने तेजी से इस बार किसानों का मक्का खरीद लिया है।
देश-प्रदेश में मक्का उत्पादन में अग्रणी छिंदवाड़ा में खरीफ सीजन में 3.60 लाख हैक्टेयर में मक्का की फसल लगाई गई थी। जिससे करीब 18 लाख मीट्रिक टन मक्का हुआ है। सरकार की पेट्रोलियम में एथनॉल की भागीदारी 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने के लक्ष्य से उद्योगपति आकर्षित हुए। छिंदवाड़ा के बोरगांव में दो फैक्टरी एथनॉल उत्पादन कर रही है तो तीसरी सलैया के पास स्टार्च उत्पादन में लगी है। इसके अलावा पड़ोसी बालाघाट जिले में बालाघाट व वारासिवनी में भी दो फैक्टरी एथनॉल पर आधारित है। ये भी मक्का और चावल से एथनॉल बना रही है। इससे छिंदवाड़ा कृषि उपज मण्डी में आ रहा मक्का इन फैक्टरीज में पहुंच रहा है।
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मक्का के बाहर भेजने में 25 प्रतिशत कमी
अनाज व्यापारी बताते है कि पहले ज्यादातर मक्का देश-प्रदेश के शहरों में पहुंचता था, अब यहीं मक्का छिंदवाड़ा में ही उपयोग में आने लगा है। इस उद्योग की मांग से 10 लाख मीट्रिक टन मक्का इस सीजन में खपत होने का अनुमान है। इससे मक्का के बाहर भेजने के औसत में 25 प्रतिशत की कमी आई है। आनेवाले समय में मक्का की खपत और बढ़ेगी।
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किसानों को 2600 रुपए तक मिला भाव
एथनॉल उत्पादन आधारित कंपनियों की मांग पर मक्का के भाव भी तेजी से बढ़े हैं। इससे मक्का का अधिकतम दाम 2600 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचा। इस समय भाव 2450 रुपए तक है। एक समय था जब मक्का के भाव एक हजार रुपए तक थे। इससे किसान निराश हो गए थे। अब उन्हें मक्का के बेहतर दाम मिलने पर संतोष है।
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एथनॉल फैक्टरीज बढऩे से होगा फायदा
सांसद बंटी साहू ने जिस तरह तेल कंपनियों का ध्यान आकर्षित किया, उससे प्रेरणा लेकर और भी उद्योगपति छिंदवाड़ा में एथनॉल फैक्टरीज खोलने अग्रसर होते हैं तो इसका फायदा छिंदवाड़ा के किसानों को मक्का की मूल्यवृद्धि के रूप में मिलेगा। इससे इसका कृषि रकबा 4 लाख हैक्टेयर तक पहुंच सकता है।
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पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल का लक्ष्य
एथनॉल इस समय पेट्रोल में 10 फीसदी है। सरकार ने इसे भविष्य में 20 फीसदी तक ब्लेडिंग करने का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा इसका उपयोग मुर्गी के खाद्य पदार्थ आधारित उद्योग फार्मास्यूटिकल्स, प्लास्टिक, लैदर, पॉलिश, प्लास्टिसाइजर और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन में हो रहा है। साथ ही मक्का से व्यंजन भी बनाए जाने से घरेलू उपयोग भी बढ़ा है।
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इनका कहना है…
बोरगांव में दो एथनॉल फैक्टरी और सलैया में स्टार्च फैक्टरी तथा बालाघाट की दो फैक्टरी में छिंदवाड़ा का मक्का उपयोग हो रहा है। इससे व्यापारी इसे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध करा रहे हैं। बाहर निर्यात करने में 25 फीसदी की कमी आई है।
-प्रतीक शुक्ला, अध्यक्ष अनाज व्यापारी संघ छिंदवाड़ा।
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