तेल, साबुन-पेंट में भी उपयोगी
सीताफल के इस्तेमाल से हृदय सम्बंधित, पेट सम्बंधित, कैंसर, कमजोरी और जोड़ों में दर्द जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसके बीजों के तेल का इस्तेमाल साबुन और पेंट बनाने में किया जाता है, तो वहीं दलहनी फसलों के कीट नियंत्रण में भी उपयोगी है।सीताफल की प्रसंस्करण यूनिट की जरूरत
लावाघोघरी क्षेत्र में सर्वाधिक सीताफल होता है। इस पर निजी क्षेत्र के लोग सामने आए तो लघु उद्योग लग सकता है। लघु और सूक्ष्म प्रसंस्करण इकाइयों से सीताफल समेत पापड़, बड़ी, अचार, मुरब्बा, डेयरी, मिष्ठान व नमकीन तैयार करने, गुड़ घाना, चिरौंजी की इकाई स्थापित करने, आलू के चिप्स बनाने की मशीन स्थापित करने, मसाला उद्योग, मैदा सूजी बनाने की मशीन स्थापित करने जैसी कई इकाइयों पर अनुदान भी मिल रहा है। जिले में लघु उद्योग यूनिट मंजूरी दी गई है। सीताफल यूनिट का इंतजार है।ये हैं प्रसंस्करण आधारित उद्योग
सीताफल का प्रसंस्करण कर उसके गूदे से कई खाद्य पदार्थ व उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इनमें आइसक्रीम, शरबत, जेम, रबड़ी, शेक, पाउडर आदि शामिल हैं। सीताफल के छिलकों से कम्पोस्ट खाद फसलों के लिए काफी लाभदायक है। सीताफल के गूदे को निकालने के लिए तकनीक भी विकसित कर ली गई है। इसकी मार्केटिंग की भी संभावनाएं हैं। छिंदवाड़ा शहर में इसकी आइसक्रीम बेची जा रही है। इस समय लावाघोघरी के पास सृजन एफपीओ सीताफल के गूदे का कलेक्शन कर रहा है। इसका उपयोग आइसक्रीम में हो रहा है। जिले में प्रसंस्करण यूनिट की संभावनाएं हैं। इस पर 35 फीसदी अनुदान भी दिया जा रहा है।
-एमएल उइके, सहायक संचालक उद्यानिकी
-एमएल उइके, सहायक संचालक उद्यानिकी