छिंदवाड़ा

Chhindwara news: राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय से धारा-52 हटी, मिलेगा चौथा कुलगुरु

नए कुलगुरू की नियुक्ति तक डॉ. भलावी के पास ही रहेगी कमान

छिंदवाड़ाJul 08, 2024 / 12:21 pm

ashish mishra

छिंदवाड़ा. शासन ने लगभग डेढ़ साल बाद राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय से धारा-52 हटा लिया है। कुलपति की नियुक्ति के लिए आवेदन भी आमंत्रित किए हैं। तब तक कुलगुरु डॉ. लीला भलावी विश्वविद्यालय की कमान संभाले रहेंगी। पांच साल में अब विश्वविद्यालय को जल्द ही चौथा कुलगुरु मिलेगा। विश्वविद्यालय अगस्त 2019 में खोला गया था। पहले कुलगुरु के तौर पर विश्वविद्यालय में प्रो. एमके श्रीवास्तव को नियुक्त किया गया था। लगभग चार साल उन्होंने विश्वविद्यालय की कमान संभाली। शासन ने 15 मार्च 2023 को जबलपुर कमिश्नर की जांच रिपोर्ट के बाद विश्वविद्यालय में धारा-52 लागू करते हुए श्रीवास्तव को हटा दिया था। उन पर आरोप था कि पद पर रहते हुए विश्वविद्यालय के अधिनियमों का उल्लंघन कर रहे थे। जिससे कुप्रबंधन की स्थिति निर्मित हो रही थी। राज्यपाल ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र को अतिरिक्त जिम्मेदारी देते हुए राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय की कुलपति का भी जिम्मा सौंपा। प्रो. मिश्र ने 16 मार्च 2023 को राजा शंकर शाह विवि का कार्यभार संभाल लिया था। इसके बाद उन्होंने विवि के कामकाज को समझा और स्टाफ से सामजस्य बनाकर कार्य आगे बढ़ाया। उनके देखरेख में कामकाज पटरी पर आ रहा था कि चार माह बाद उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया। जुलाई 2023 में राजभवन ने विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा विभाग, जबलपुर संभाग की अतिरिक्त संचालक डॉ. लीला भलावी को आगामी आदेश तक कुलगुरु नियुक्त कर दिया।
प्रधानमंत्री भी ले चुके हैं विश्वविद्यालय का नाम
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय को खुले हुए लगभग पांच साल हो चुके हैं। इसके बावजूद भी विश्वविद्यालय के भवन के लिए कामकाज शुरु नहीं हो पाया है। शासन की लगातार उपेक्षा से यह स्थिति निर्मित हुई है। हालांकि सरकार विश्वविद्यालय का नाम गोंड राजा के नाम पर रखकर आदिवासी मतदाताओं को रिझाने का काम कर चुकी है। शहडोल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम ले चुके हैं। कहा था कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय का नाम देकर भाजपा सरकार ने आदिवासियों को सम्मान दिया। जबकि जमीनी हकीकत देखें तो विश्वविद्यालय महज परीक्षा के आयोजन एवं परिणाम देने तक सीमित रह गया है। अगर विवि का भवन होता तो कई गतिविधियां होती और विद्यार्थियों को फायदा पहुंचता।
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शासन को देना होगा विशेष ध्यान
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय ने अब तक सीमित संसाधन में कामकाज संभाला है। जबकि इस विश्वविद्यालय से सिवनी, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा जिले के कॉलेज संबंद्ध हैं। शासन को अब इस विश्वविद्यालय पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। प्रर्याप्त बजट देकर भवन जल्द से जल्द बनने एवं स्टॉफ की नियुक्ति से ही छिंदवाड़ा जिले में उच्च शिक्षा बेहतर से बेहतर हो पाएगी। विद्यार्थियों का पलायन रूकेगा।

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