अनुत्तीर्ण छात्राओं ने आरोपी के बताए अनुसार प्रत्येक विषय के हिसाब से पैसे ऑनलाइन माध्यम से भेज दिए। इसके बाद आरोपी फिर से पैसे की डिमांड करने लगा। उसका कहना था कि मार्कशिट अपलोड करने सहित अन्य वजहों से पैसे चाहिए। ठगी का शिकार छात्रा ने बताया कि जब हमने पैसे देने से मना किया तो उसका कहना था कि तुम कभी उत्तीर्ण नहीं हो पाओगी। मैं तुम्हे फिर से फेल कर दुंगा। इसके बाद छात्राओं ने फिर से पैसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर दिए।
ठगी का शिकार हुई एक छात्रा ने बताया कि हमारे कॉलेज की एक छात्रा को आरोपी युवक ने उत्तीर्ण होने की मार्कशिट दी थी। उसी पर विश्वास कर कॉलेज की 100 से अधिक प्रत्येक छात्राओं ने आरोपी को 5 से 6 हजार रुपए दे दिए हैं।
कुछ दिन पहले राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक प्रथम वर्ष की सप्लीमेंट्री परीक्षा आयोजित गई थी। छात्राओं ने बताया कि आरोपी ने ग्रुप में पैसे देने वाली छात्राओं से कहा कि वे परीक्षा न दें उनका रिजल्ट बन चुका है। हालांकि कई छात्राओं ने परीक्षा दी तो कुछ छात्राएं आरोपी के बातों में आ गई और उन्होंने परीक्षा नहीं दी।
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय को खुले हुए चार साल हो चुके हैं। सवाल यह है कि विश्वविद्यालय से मार्कशिट बनाकर छात्राओं को कैसे दिए गए। अगर मार्कशिट डुप्लीकेट बनाए गए हैं तो अब तक विश्वविद्यालय को इसकी भनक क्यों नहीं लगी। छात्राओं ने बहुत हिम्मत कर मामले की शिकायत कॉलेज और पुलिस से की है। संभवत: अभी और मामले उजागर हो सकते हैं।
छात्राओं से ठगी का मामला प्रकाश में आया है। उन्होंने शिकायत दी है। मामले की जांच की जा रही है। इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।
उमेश गोल्हानी, कोतवाली प्रभारी