छिंदवाड़ा जिले में हालात यह हैं कि जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा के साथ ही परासिया, तामिया, जुन्नारदेव, चौरई, अमरवाड़ा, मोहखेड़ और पांढुर्ना विकासखंड के 39 गांव फ्लोराइड से प्रभावित हैं. हालांकि इन सभी गांवों में रिमूवल प्लांट भी लगाए गए थे, लेकिन पीएचई विभाग की लापरवाही से सभी प्लांट बंद हो चुके हैं.
पीएचई ने पांच वर्ष के लिए मेंटेनेंस का ठेका एक एजेंसी को दिया था. समयावधि समाप्त होने के बाद मेंटेनेंस छोड़ दिया गया और प्लांट बंद होते गए. वर्तमान में तीन गांवों में प्लांट काम कर रहे हैं. ऐसे में शेष 36 गांवों की हालत खराब है. यहां के रहवासी फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन करने को मजबूर हैं.
विभाग का दावा
पीएचई विभाग का कहना है कि एक व्यक्ति को प्रतिदिन 55 लीटर पानी की जरूरत होती है. इनमें से 10 लीटर पेयजल के लिए होता है. तीन को छोड़ शेष गांवों में हर व्यक्ति को 10 लीटर पेयजल उपलब्ध है. ऐसे में रिमूवल प्लांट को चालू नहीं कराया गया है.
जिन गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी है और लोग उसका सेवन करते हैं, तो उन्हें दूध, दही, छाछ एवं खट्टे फल का ज्यादा उपयोग करना चाहिए. इससे कैल्सियम एवं विटामिन शरीर को पर्याप्त मात्रा में मिल सकेंगे. इसके अलावा विटामिन बी, विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट सप्लीमेंट्री फूड के रूप में उपयोग करने से भी फ्लोरोसिस बीमारी से बचा जा सकता है.
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36 गांवों के लोग पी रहे फ्लोराइड युक्त पानी
इस संबंध में छिंदवाड़ा के पीएचइ विभाग के कार्यपालन यंत्री जीपी लारिया का कहना है कि जिले में 39 गांव फ्लोराइड प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि इनमें तीन स्थानों पर रिमूवल प्लांट काम कर रहे हैं. शेष स्थानों पर 10 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से पेयजल उपलब्ध है.