यह है स्थिति जिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू में ० से २८ दिन तक के गंभीर या असाधारण शिशुओं को रखा जाता है। इस यूनिट में जिला अस्पताल के अलावा जिले के समस्त विकासखंडों के बच्चों को भी रखा जाता है। यूनिट में २२ वार्मर मशीन हंै, जिसमें से दो मशीन खराब हैं। क्षमता से अधिक शिशुओं के आने पर एक मशीन में दो से तीन बच्चों को रखना पड़ता है। वहीं संक्रमित बच्चे के आने पर दुविधा और बढ़ जाती है। इसके साथ ही प्रतिदिन १० से १५ ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग यहां होता है।
जानकारी के अनुसार एक अप्रैल से २२ अगस्त २०१७ तक एसएनसीयू में ७२८ शिशुओं को भर्ती किया गया, जिसमें से ७३ की विभिन्न कारणों से मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार एक अप्रैल से २२ अगस्त २०१७ तक एसएनसीयू में ७२८ शिशुओं को भर्ती किया गया, जिसमें से ७३ की विभिन्न कारणों से मौत हो गई।
समीक्षा में गिर रही रेटिंग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रतिवर्ष प्रदेश में संचालित एसएनसीयू के कार्यों की समीक्षा करता है तथा रिपोर्ट के आधार पर रेटिंग करता है। एनएचएच द्वारा निर्धारित १५ से २० बिंदुओं के आधार पर विभागीय दल जांच करता है। इसमें सभी इंडीकेशन पर वर्क होना, मृत्यु दर नियंत्रण, फालोअप, मृत्यु का कारण आदि शामिल है। बताया जाता है कि पिछले वर्ष छिंदवाड़ा प्रदेश में प्रथम नम्बर पर था, लेकिन इस वर्ष विभिन्न कारणों की वजह से प्रदेश में चौथे स्थान पर है। हालांकि अधिकारी जल्द सुविधाएं सुधारने की बात कर रहे हैं।
बीते चार माह की स्थिति
माह एडमिट शिशु की संख्या मृत शिशु संख्या
अप्रैल १५१ ११
मई १२५ १९
जून १३८ १३
जुलाई १७९ १२
२२ अगस्त तक १३५ १८
(नोट: स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार)
माह एडमिट शिशु की संख्या मृत शिशु संख्या
अप्रैल १५१ ११
मई १२५ १९
जून १३८ १३
जुलाई १७९ १२
२२ अगस्त तक १३५ १८
(नोट: स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार)