छतरपुर. बचपन में ऐसी गरीबी देखी कि खुद के पहनने-ओढऩे के लिए कपड़ों का इंतजाम भी मुश्किल था। जब होश संभाला तो मेहनत करके अपने पैरों पर खड़े हो गए। लेकिन गरीबी के दिनों से जीवनभर के लिए जरूरतमंदों की सेवा का भाव मन में घर कर गया। व्यवसाय से आमदनी हुई तो वर्ष 2015 से हर साल आमदनी का दस फीसदी जरूरतमंद गरीबों की मदद में खर्च करने लगे। इसी बीच 2020 में कोरोना काल आया, कोरोना काल जहां एक ओर अब तक का सबसे बड़ा संकटकाल साबित हुआ है। वहीं, लोगों में एक दूसरे की मदद का भाव और सुदृढ़ कर गया। जरूरतमंदो की मदद करके आत्मसंतुष्टि का ऐसा ही भाव छतरपुर जिला मुख्यालय के पास के गांव रामगढ़ के युवा व्यवसायी के मन भी है। जिसके चलते वे कोरोना काल और उसके पहले व बाद में भी दूसरों की मदद का सिलसिला जारी रखे हैं।
कोरोना काल में पहुंचाते रहे राशन
रामगढ़ गांव के संतोष शिवहरे बताते है कि बचपन में गरीबी की देखी है। यही वजह है कि गरीबों के दर्द को समझ सकता हूं। जब अपने पैरों पर खड़ा हुआ तो हर साल आमदनी का दस फीसदी गरीबों की मदद के लिए खर्च करने लगा। ईश्वर, माता-पिता के आर्शीवाद और गरीबों की दुआओ से कामकाज भी ठीक चलने लगा। इससे दूसरों की मदद का भाव मजबूत होता गया। इसी बीच कोरोना काल आया तो लोगों की परेशानी व दर्द और नजदीक से देखा। कोरोना काल में शहर के हर वार्ड में नगरपालिका द्वारा चिंहित जरूरतमंदों के लिए राशन की मदद कर पाया। दूसरों की मदद से आत्मसंतोष मिलता। इसलिए यह सिलसिला जारी है। सर्दियों में जरूरतमंदो को गर्म कपड़े, गर्मियों में कपड़े, पंखे की व्यवस्था समेत जो भी बन पड़ता है, करने की कोशिश करता रहता हूं।
बुजुर्गो को भेंट किए गर्म कपड़े
बीते दस दिनों से कड़ाके की ठंड पर रही है। संतोष ने अपने साथियों ने कलचुरी समाज के युवा जिला अध्यक्ष निखिल शिवहरे, अमित तिवारी,शिवम चौबे, चुन्नीलाल शिवहरे, जितेंद्र, गोलू, आशीष रावत, अंकित कुशवाहा, कैलाश कुशवाहा, भविष्य, ऋषभ, अशोक कुशवाहा के साथ मिलकर गरीबों को गर्म कपड़े भेंट किए। संतोष हर साल 1 जनवरी को गरीबों को गर्म कपड़े भेंट करते हैं। इसके अलावा सालभर दूसरों की मदद का सिलसिला जारी रहता है।