छतरपुर जिले में रबी सीजन की शुरुआत नवंबर के पहले सप्ताह से होने जा रही है, जिसमें गेहूं, सरसों, जौ, मसूर, अलसी, चना, और मटर की फसलों की बोवनी के लिए लगभग 4.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल निर्धारित किया गया है। रबी फसलों के लिए किसानों को कुल 3.51 लाख क्विंटल बीज की जरूरत है, जबकि वर्तमान में कृषि विभाग के पास केवल 27 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध है, जो बोवनी के लिए बेहद कम है। बीज की इस कमी से किसानों को प्रमाणित बीज के अभाव में खुले बाजार से बीज खरीदने पड़ सकते हैं, जिससे उनके खर्च में वृद्धि होगी और उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है।
खाद की कमी भी बनी चुनौती
रबी सीजन में 74 हजार टन खाद की आवश्यकता है, जबकि जिले में अभी तक मात्र 22 हजार टन खाद ही उपलब्ध है। वर्तमान में कृषि विभाग के पास 10 हजार टन यूरिया, 4 हजार टन डीएपी, 7 हजार टन एमपीके और साढ़े 4 हजार टन सुपर फास्फेट बचा है। खाद की कमी के चलते किसानों को अपनी फसलों की अच्छी उपज प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है, जिससे कृषि विभाग को जल्द से जल्द खाद उपलब्ध कराना आवश्यक है।
मिट्टी परीक्षण से बढ़ेगा उत्पादन
सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी रवि श्रीवास्तव ने बताया कि किसानों को बेहतर उपज के लिए मिट्टी परीक्षण अवश्य करवाना चाहिए, ताकि उन्हें अपने खेतों की मिट्टी में किस तत्व की कमी या अधिकता है, इसकी जानकारी मिल सके। इससे किसान सही उर्वरक का उपयोग कर अपनी फसल की उत्पादकता में वृद्धि कर सकते हैं।
प्रमाणित बीज का भी उत्पादन पर असर
नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. कमलेश अहिरवार के अनुसार, प्रमाणित बीज का उपयोग करने से प्रति क्विंटल 40 से 50 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हो सकता है, जबकि पुराना और असत्यापित बीज उत्पादन में कमी ला सकता है। इसलिए किसानों को कृषि विभाग या प्रमाणित संस्थाओं से ही बीज लेकर बोवनी करने की सलाह दी गई है।
विभाग की ओर से हैं तैयारी
सेवा सहकारी समितियों के पास कुछ बीज उपलब्ध है और विभाग ने 27 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध कराया है। उम्मीद है कि यह बीज रबी फसलों की बोवनी में सहायक सिद्ध होगा।
डॉ. केके वैद्य,उप संचालक , कृषि विभाग