छतरपुर

कैसी बोली अलबेली बोलत में लगे बड़ी मीठी, लोकगीत के जरिए बताया बुंदेली बोली का महत्व

खजुराहो में चल रहे अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के चौथे दिन का आगाज एक सांस्कृतिक समृद्धि से हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियों का शानदार सिलसिला शुरू हुआ। इस दिन का विशेष आकर्षण बुंदेली लोक कला और संगीत के रंग-बिरंगे उत्सव के रूप में सामने आया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

छतरपुरDec 09, 2024 / 10:28 am

Dharmendra Singh

प्रस्तुति देते हुए


छतरपुर. खजुराहो में चल रहे अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के चौथे दिन का आगाज एक सांस्कृतिक समृद्धि से हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियों का शानदार सिलसिला शुरू हुआ। इस दिन का विशेष आकर्षण बुंदेली लोक कला और संगीत के रंग-बिरंगे उत्सव के रूप में सामने आया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
आरती ऊषा म्यूजिकल ग्रुप द्वारा प्रस्तुत बुंदेली लोक कला आधारित संगीत कार्यक्रम ने महोत्सव की शुरुआत की। समूह ने खजुराहो और बुंदेलखंड की वीरता को प्रदर्शित करते हुए बुंदेलखंड के शौर्य और सांस्कृतिक धरोहर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके गीत कैसी बोली अलबेली बोलत में लगे बड़ी मीठी ने बुंदेली बोली के महत्व को दर्शाया, जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया। इसके बाद हमे बुंदेली लगे, जैसे लोकगीतों से बुंदेली संस्कृति की पहचान और महत्व को प्रस्तुत किया गया। समूह ने बॉय नचे नदिया पे गीत के माध्यम से परमात्मा शिवशंकर की बारात का चित्रण किया, जिसमें लोकगीतों और नृत्य के जरिए श्रोताओं का मनोरंजन किया गया। यह प्रस्तुति दर्शकों के बीच बहुत ही लोकप्रिय रही और उनके लोक संगीत के प्रति प्रेम को उजागर किया। वर्षा सिंह की बुंदेली लोकनृत्य प्रस्तुति ने इस दिन की सांस्कृतिक शाम को और भी रोचक बना दिया। उनकी नृत्य शैली, जो बुंदेली मिट्टी और परंपरा से जुड़ी हुई थी, ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राजेश खन्ना को समर्पित प्रस्तुति हुई
भोपाल से आए कलाकार अश्विन मुंदया ने राजेश खन्ना की फिल्मों पर आधारित किशोर कुमार के फिल्मी गीतों पर अपनी म्यूजिकल और कला की प्रस्तुति दी। उन्होंने अपनी गायन शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और पुराने बॉलीवुड गीतों के मधुर सुरों में नई जान फूंक दी। उनके संगीत ने इस शाम को और भी रंगीन बना दिया। मुंबई के नृत्य दर्पण अकादमी के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सभी को चौंका दिया। शुरुआत में, कलाकारों ने पुष्पांजलि के रूप में गुरुजनों को प्रणाम किया और आशीर्वाद लिया। इसके बाद, उन्होंने पदम नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसमें राधा और कृष्ण के चरित्र को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया।
टपरा टॉकीज में 15 शॉर्ट फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग

खजुराहो फिल्म फेस्टिवल की अनूठी पहचान बांस बल्लियों और पन्नी से बनी टपरा टॉकीज में रविवार मध्यप्रदेश व देश के नवोदित कलाकारों की 15 शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई। टपरा टॉकीज प्रभारी और अभिनेता आरिफ शहडोली ने बताया कि यू शो, निर्देशक रणविजय पाल की फिल्म यू शो, निर्देशक इकबाल अली देवता, निर्देशक डॉ. एनएल पटेल की आखिर कब तक, निर्देशक डॉ. अमित मोहन की एसियंट सीक्रेट्स एंड मॉडन, निर्देशक कप्तान सिंह कर्णधार की गूंज, निर्देशक नरेंद्र साहू भोपाल की फिल्म रिश्तों की अहमियत समेत तालियां अपनो की, रिश्तों की अहमियत, मैं बनूंगी मिस बुंदेलखंड और क्या समझेगी मां जैसी चर्चित फिल्मों ने दर्शकों का ध्यान खींचा। इसके अलावा अन्य फिल्में जैसे केवट संवाद, संस्कार, वनरक्षा, खान बाबा भी दिखाई गईं। फिल्म महोत्सव के दौरान मुंबई से आए सेलिब्रिटी कलाकारों ने अपने अभिनय अनुभवों को भी साझा किया और नवोदित फिल्मकारों को प्रेरित किया।
दशकों पहले हुआ करती थी टॉकीज
फिल्म फेस्टिवल के आयोजन अभिनेता, फिल्मकार राजा बुंदेला ने बताया कि स्थापत्य कला के अनुपम मंदिरों की नगरी खजुराहो इन दिनों फिल्मी दुनिया और रंगमंच की दुनिया के लोगों के रंग में रंगा हुआ है। यहां सबसे बड़ा आकर्षण ‘टपरा टॉकीज’ है। कई दशकों पहले इस तरह के टॉकीज हर मध्यम और छोटे शहरों में हुआ करते थे। खजुराहो में इन दिनों फिल्म महोत्सव चल रहा है। देश और दुनिया की फिल्मों के प्रदर्शन के लिए यहां भव्य सभागार या टॉकीज या सिनेप्लेक्स तो है नहीं, लिहाजा पन्ना से लाए गए बांस, बल्ली और त्रिपाल आदि की मदद से टपरा टॉकीज’ बनाए गए हैं। इन ‘टपरा टॉकीजों’ को भव्य और आकर्षक रूप दिया गया है।
कार्यशाला में अभिनय की बारीकियों पर हुई चर्चा
फिल्म महोत्सव के चौथे दिन एक विशेष कार्यशाला का आयोजन भी किया गया, जिसमें मशहूर खिचड़ी धारावाहिक के बाबूजी अनंत देसाई की पत्नी और अभिनेत्री चित्रा देसाई, लेखक-निर्देशक राकेश साहू और डायरेक्टर जगदीश शिवहरे ने बच्चों और नवोदित फिल्मकारों को अभिनय के बारीकियों के बारे में जानकारी दी। बरनाली शुक्ला फिल्म मेकर और स्टोरी राइटरने भी इस कार्यशाला में भाग लिया और कहा कि वह कई नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं, जिन्हें मार्च तक प्रदर्शित किया जाएगा।
फोटो- टपरा टॉकीज

Hindi News / Chhatarpur / कैसी बोली अलबेली बोलत में लगे बड़ी मीठी, लोकगीत के जरिए बताया बुंदेली बोली का महत्व

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.