छतरपुर

अटल भूजल योजना के तहत जिले के 242 गांवों में संरक्षित होगा बारिश का पानी, मापन यंत्र भी लगाए

अटल भूजल योजना के पहले चरण में कुल 242 ग्राम पंचायतों का वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार किया गया है। शुरुआत में 70 ग्राम पंचायतों के जल सुरक्षा प्लान तैयार किए गए थे। जो जिला स्तर, राज्य स्तर पर अनुमोदित किए जा कर केन्द्र सरकार को प्रस्तुत किए गए और फिर केन्द्र के निर्देश पर जिले के 242 गावों का रीवाइज्ड वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार किया गया है।

छतरपुरJun 11, 2024 / 10:57 am

Dharmendra Singh

जल संरक्षण के लिए किए जा रहे काम

छतरपुर. अटल भू-जल योजना का क्रियान्वयन छतरपुर, नौगावं एवं राजनगर जनपद पंचायत इलाके में किया जा रहा है। अटल भूजल योजना के पहले चरण में कुल 242 ग्राम पंचायतों का वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार किया गया है। शुरुआत में 70 ग्राम पंचायतों के जल सुरक्षा प्लान तैयार किए गए थे। जो जिला स्तर, राज्य स्तर पर अनुमोदित किए जा कर केन्द्र सरकार को प्रस्तुत किए गए और फिर केन्द्र के निर्देश पर जिले के 242 गावों का रीवाइज्ड वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार किया गया है। रिवाइज्ड प्लान में स्थानीय लोगों की सहभागित बढ़ाई गई है।

प्रत्येक गांव में जोड़े 20-20 लोग


मिशन के प्रभारी आशीष ताम्रकर ने बताया कि सभी गावों के लोगों को जागरुक कर उन्हें खेत तालाब व मेढ़ बंधान से पानी के संरक्षण व सदुपयोग के लिए प्रेरित किया गया है। जिसके चलते हर गांव में अब 20-20 लोग खेत तालाब व मेढ़ बंधान का कार्य करा रहे हैं। इससे पानी के संरक्षण में स्थानीय लोगों की सहभागिता बढ़ेगी। ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना के प्रति सामाजिक-जागरूकता का परीक्षण भी लगातार किया गया है। ग्राम पंचायत स्तर पर द्वितीय चरण में योजना से लोगो की जनभागीदारी सुनिश्चित करने हेतु जल एवं मिटटी अनुसंधान केन्द्र (वाल्मी) भोपाल द्वारा 30 दिनों तक प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रशिक्षण दिया गया। एक बैच में न्यूनतम 25 सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें ग्राम पंचायत की जल सुरक्षा एवं प्रबंधन समिति के सदस्यों को जिसमें अध्यक्ष संरपच होता है, समिति के सचिव ग्राम पंचायत सचिव, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, ग्राम रोजगार सहायक, महिला स्वसहायता समूह , ग्रामीण महिलाएं एवं कृषक उपस्थित रहें।

बनाया गया पानी का बजट


गांव स्तर पर ही पानी का बजट बनाकर समिति के सदस्यों ने पानी की मांग एवं अपूर्ति पक्ष को ध्यान में रखते हुए पानी की बचत कैसेे की जा सकती है उसके लिए ग्राम स्तर पर क्या उपाय किए जा सकते है। इसका प्रावधान किया गया हैं। वाटर सिक्योरिटी प्लान में मांग पक्ष में दैनिक उपयोग, खेती में सिंचाई के लिए पानी का उपयोग तथा अधिक पानी की खपत वाली फसलों के स्थान पर कम पानी की खपत वाली फसलों को लगाने के लिए भी योजना में प्रावधान रखा गया है। परम्परागत सिचांई के साधनों के स्थान पर स्प्रिंकलर, एवं ड्रिप सिंचाई पद्यति भी लगाए जाने हेतु जल सुरक्षा योजना में प्रावधान रखा गया है। अपूर्ति पक्ष में ग्राम स्तर पर ही यह तय किया जाता है कि पंचायत क्षेत्र में कहां-कहां और कौन सी जल संरचनाओं का निर्माण भू-गर्भीय विविध मिट्टी एवं चट्टान की परतों का अध्ययन कर सुनिश्चित किया जा सकता है।

पीजो मीटर लगाए


242 पंचातयों में पीजोमीटर, वर्षा मापी यंत्र स्थापित किए गए है। जिसकी सहायता से पंचायत का भूजल स्तर की माप स्वत: ही मापी जा सकती है और वर्षा मापी यंत्र की सहायता से वर्षा के मौसम में कितनी बारिश हुई इसका आंकलन किया जा सकता है। ग्रामीण स्तर पर भूजल वद्धि हेतु जल सुरक्षा योजना तैयार की जाती है जिसमें पंचायत में कितना पानी उपलब्ध है, कितना उपयोग होता है और कितना शेष बच रहा है। इसमें पानी की मांग और पूर्ति के संबंध में अध्ययन किया जाता है। पंचायत स्तर पर चयनित 10 कुओं का बारिश से पूर्व एवं बारिश के बाद वाटर लेबल लेकर उसका रिकार्ड संधारित किया जाता है। जिससे जल स्तर की गणना हो सके।

इस तरह के कार्य कराए जा रहे


छतरपुर की 81, राजनगर के 86 और नौगांव के 75 ग्राम पंचायतों में भूजल संवर्धन कार्य किया जाना है। योजनांतर्गत स्टाफ डेम एवं बेरोज, चेकडेम एवं रीचार्ज सॉफ्ट, पर्कोलेशन टैंक, प्वाइंट रिचार्ज स्ट्रक्र, डगवे, कंटूर ट्रेन्चैस, ऐतिहासिक तालाब एवं बाउण्ड्रियों का पुर्नजीवन सहित टेलीमेटी उपकरण, प्रयोगशाल उपकरण एवं डाटा सेंटर कम्प्यूटर, ट्रेनिंग प्रशिक्षण एवं कम्युनिकेशन से जुड़े कार्य भी किए जा रहे हैं।

इनका कहना है


अटल भूजल योजना के उद्देश्य के अनुरूप ग्रामीणों ने अपने व्यवहार में परिवर्तन कर जल संरक्षण के क्षेत्र में अपनी भागीदारी शुरू कर दी है, जिसके सकारात्मक परिणाम शीघ्र हमें देखने को मिलेंगे।
सुनील कुमार अहिरवार, नोडल अधिकारी

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