छतरपुर. खाद, गेहूं की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए जिला एवं ब्लॉक स्तर पर 15 उडऩदस्तों का गठन किया गया है। साथ ही अवैध रूप से भण्डारित खाद पर कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही गेहूं के स्टॉक की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं, किसानों की सुविधा के लिए सोयाबीन की खरीदी के लिए पंजीयन शुरू करते हुए जिले में 15 केंद्र बनाए गए हैं।
खाद का अवैध स्टॉक पाए जाने पर कार्यवाही के निर्देश
कलेक्टर पार्थ जैसवाल के निर्देशन में कृषि और कॉपरेटिव विभाग के अधिकारियों द्वारा खाद के गोदामों और दुकानदारों के विक्रय केंद्र का निरीक्षण शुरू किया गया है। टीम ने खाद के स्टॉक की उपलब्धता की जानकारी ली और पीएसओ मशीन से उर्वरक निर्धारित मूल्य पर वितरित करने के निर्देश दिए। साथ उर्वरक के संबंध में जानकारी चस्पा होने का अवलोकन किया। इसी क्रम में कृषि अधिकरी डॉ. कबीर कृष्ण वैध द्वारा बड़ामलहरा डबल लॉक का निरीक्षण किया गया। जहां यूरिया, डीएपी, सुपर दानेदार, पोटाश आदि उर्वरक एवं बीज का पर्याप्त मात्रा में स्टॉक में मिला। कलेक्टर ने किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को दिए है लगातार निरीक्षण के निर्देश।
गेहूं के व्यापार में स्टॉक सीमा 31 मार्च 2025 तक लागू
भारत सरकार ने गेहूं के व्यापार में स्टॉक सीमा लागू की है। जिला आपूर्ति अधिकारी ने बताया कि शासन द्वारा गेहूं के व्यापारी एवं थोक विक्रेता 2 हजार टन, रिटेलर (प्रत्येक आउटलेट) के लिए 10 टन और बिग चेन रिटेलर (प्रत्येक आउटलेट) के लिए 10 टन एवं उनके सभी डिपुओं पर 10 टन तथा प्रोसेसर्स को 60 प्रतिशत या मासिक स्थापित क्षमता के बराबर मात्रा को 2024-25 के शेष महिनों से गुणा कर उसकी समतुल्य मात्रा तक गेहूं के स्टॉक सीमा 31 मार्च 2025 तक की अवधि के लिए निर्धारित की गई है। गेहूं का व्यापार करने वाले व्यापारी एवं थोक विक्रेता, रिटेलर, बिन चेन रिटेलर और प्रोसेसर्स तत्काल भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर स्टॉक की स्थिति अपलोड करें। अनियमितताएं पाए जाने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत चोर बाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम 1980 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
समर्थन मूल्य पर होगी सोयाबीन खरीद
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर सोयाबीन बेचने के लिए पंजीयन प्रारंभ हो गए हैं। उपसंचालक कृषि डॉ केके वैद्य द्वारा बताया गया की कलेक्टर पार्थ जैसवाल के निर्देशानुसार जिले में सोयाबीन उपार्जन के लिए वर्ष 2024-25 में पंजीयन के लिए 15 पंजीयन केन्द्रों की स्थापना की गई है जिनमें सेवा सहकारी समिति डिकौली, सेवा सहकारी समिति बढ़ामलहरा, सेवा सहकारी समिति मेलवार, सेवा सहकारी समिति बंधा, सेवा सहकारी समिति बिजावर, सेवा सहकारी समिति देवरा, सेवा सहकारी समिति बम्हौरी सेवा सहकारी समिति सुनवाहा, सेवा सहकारी समिति घुवारा, सेवा सहकारी समिति भगवां, सेवा सहकारी समिति नौगांव, सेवा सहकारी समिति मुंडेरी, सेवा सहकारी समिति बगौता, सेवा सहकारी समिति माधौपुर, सेवा सहकारी समिति बसारी सम्मिलित है। इन केन्द्रों पर जाकर कृषक 20 अक्टूबर तक पंजीयन करा सकते हैं।
एमपी ऑनलाइन एप से घर बैठे पंजीयन
कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने निर्देशित किया कि पंजीयन केंद्रों पर किसान पंजीयन कराते समय किसी भी प्रकार की असुविधा का सामाना न करना पड़े साथ ही छाया एवं पानी की व्यवस्था प्राथमिक सहकारी समितियों को सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया। इसके अतिरिक्त किसान भाई सोयाबीन पंजीयन हेतु एमपी ऑनलाइन एप से भी पंजीयन करा सकते है. साथ ही किसान सशुल्क पंजीयन एम.पी. ऑनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेन्टर कियोस्क, लोक सेवा केंद्र एवं निजी व्यक्त्तियों द्वारा संचालित साइबरकैफे पर भी करा सकते हैं।
पंजीयन के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत
उपार्जन के लिये किसानों को पंजीयन करने के लिये निर्धारित प्रपत्र में आवेदन, समग्र आई.डी, भू-अधिकारी पुस्तिका, खसरा, वनअधिकार पट्टा की प्रति, बैंक एकाउंट, मोबाइल नंबर की जानकारी (नोट- खसरा, बैंक एकाउंट, मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना अनिवार्य है।) सिकमी/बटाईदार एवं वन पट्टाधारी किसान के पंजीयन की सुविधा केवल सहकारी समिति स्तर पर स्थापित पंजीयन केंद्रों पर उपलब्ध होगी। उक्त श्रेणी के शत-प्रतिशत किसानों के सत्यापन राजस्व एवं वन विभाग द्वारा किया जाएगा।
उपार्जन के लिये किसानों को पंजीयन करने के लिये निर्धारित प्रपत्र में आवेदन, समग्र आई.डी, भू-अधिकारी पुस्तिका, खसरा, वनअधिकार पट्टा की प्रति, बैंक एकाउंट, मोबाइल नंबर की जानकारी (नोट- खसरा, बैंक एकाउंट, मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना अनिवार्य है।) सिकमी/बटाईदार एवं वन पट्टाधारी किसान के पंजीयन की सुविधा केवल सहकारी समिति स्तर पर स्थापित पंजीयन केंद्रों पर उपलब्ध होगी। उक्त श्रेणी के शत-प्रतिशत किसानों के सत्यापन राजस्व एवं वन विभाग द्वारा किया जाएगा।