छतरपुर. जिले में भादों माह की अष्टमी पर सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। त्योहार को देखते हुए बाजारों में रौनक रही। भगवान श्रीकृष्ण की झांकियां सजाने के लिए दुकानों में इस बार एक से बढ़ कर एक सामान आए हैं। मंदिरों और घरों में बाल गोपाल भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस को श्रद्धा भाव से मनाने के लिए सामग्री की खरीददारी के लिए दिनभर बाजारों में चहल-पहल रही। वहीं, मंदिरों में विशेष सजावज और तैयारी की गई। इसके साथ ही लोगों ने व्रत रखकर कृष्ण की उपासना की।
बाजरों में दिनभर खरीदारी
कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर झांकी सजाने की होड़ रही। कन्हैया के शृंगार और झांकियां सजाने को लेकर पूरे दिन बाजार में सजावटी वस्तुओं और राधाकृष्ण की लुभावनी पोशाक खरीदने के लिए दुकानों में लोगों का तांता लगा रहा। लोगों ने पूजा व व्रत के लिए फलों की खरीदारी की। मांग को देखते हुए फलों के दाम में काफी तेजी रही। सामान्य दिनों में बीस से तीस रुपए किलो बिकने वाला खीरा चालीस से पचास रुपए किलो तक बिका। वहीं नाशपाती 80 रुपए, सेब 60 से 80 रुपए और आम 65 से 80 रुपए प्रति किलो, जबकि केला 40 से 60 रुपए दर्जन तक बिका। बाजार में जगह-जगह धातु की बने झूले पर झुलते लड्डू गोपाल की दुकानें सजी रहीं। शहर के पन्ना नाका, छत्रसाल चौक, गांधी चौक, बस स्टैंड, हटवारा बाजार में श्रृंगार की दुकानें सजी रहीं।
लड्डू गोपाल के दर्शन से की दिन की शुरूआत
जन्माष्टमी के अवसर पर पुलिस लाइन स्थित लड्डू गोपाल मंदिर में श्रद्धालु सुबह से ही उमड़े। श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण के बाल रुप के दर्शन कर दिन की शुरूआत की और उत्सव मनाने में जुट गए। पंडित बागीश शर्मा और हरिराम पटेरिया ने बताया दिन में श्रद्धालु श्रीकृष्ण के दर्शन की बाद उत्सव की तैयारी मेें जुट गए। विशेष पूजा, आरती के साथ रात में जन्मोत्सव मनाया। इसी तह से नरसिह मंदिर में बने प्रेम प्रतीक राधा कृष्ण मंदिर में सुबह से श्रद्धालु पहुंचे और श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना की। इसके साथ ही मंदिर प्रांगण में भागवत समेत अन्य आयोजन में भी श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ी.
रात भर चला भजन का दौर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि भी कहा गया है। मान्यता है कि इस रात में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जगने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है। इस त्योहार में भगवान नारायण की श्रीकृष्ण के रूप में पूजा की जाती है। इस अवसर पर मंदिरों को सुन्दर ढंग से सजाया गया और मध्यरात्रि में पूजा की गई। भगवान की मूर्ति को एक पालने में रखा गया है तथा उसे धीरे-धीरे हिलाया गया है। लोग सारी रात भजन गात तथा आरती करते रहे।