छतरपुर

सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट क्लीनिकों पर जांच मशीनों व पैथोलॉजी लैबों का हो रहा धड़ल्ले से इस्तेमाल

डॉक्टरों को केवल प्रीस्क्रिपशन देने की अनुमति है, लेकिन वे अपने निजी क्लीनिक में सोनोग्राफी, एक्सरे की मशीनें तक संचालित कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर घर पर ट्रेड मिल समेत ह्दय रोग की कई तरह की मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं।

छतरपुरJan 23, 2025 / 10:26 am

Dharmendra Singh

जिला अस्पताल में इलाज के लिए चक्कर काटते मरीज

छतरपुर. जिले में सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों द्वारा अपनी प्राइवेट क्लीनिकों पर मशीनों और लैब सुविधाओं का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे नियमों की खुली अनदेखी हो रही है। सरकारी डॉक्टरों द्वारा इस प्रकार के उल्लंघन से सवाल खड़ा हो रहा है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस पर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले कई डॉक्टर अपनी प्राइवेट क्लीनिकों में सरकारी मशीनों, लैब्स और अन्य संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं, जो पूरी तरह से नियमों और नीतियों के खिलाफ है।

केवल सलाह देने का अधिकार, कर रहे जांचे, वसूले रहे रुपए


डॉक्टरों को केवल प्रीस्क्रिपशन देने की अनुमति है, लेकिन वे अपने निजी क्लीनिक में सोनोग्राफी, एक्सरे की मशीनें तक संचालित कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर घर पर ट्रेड मिल समेत ह्दय रोग की कई तरह की मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर अपने क्लीनिक पर पैथोलॉजी लैब भी खुद ही चला रहे हैं। जबकि पैथॉलाजी लैब संचालित करने के उन्हें अधिकार तक नहीं हैं। परीक्षणों और सेवाओं के बदले मरीजों से जमकर वसूली भी करते हैं। जो कि न केवल भ्रष्टाचार का प्रतीक है, बल्कि मरीजों के साथ धोखाधड़ी भी है।

सरकारी संसाधनों का लाभ नहीं ले पा रहे मरीज


सरकारी अस्पतालों में कई महत्वपूर्ण मशीनें और लैब सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो आम जनता के लिए सरकारी योजनाओं के तहत उपलब्ध होती हैं। लेकिन इन सुविधाओं का इस्तेमाल जनता नहीं कर पा रही है। क्योंकि डॉक्टरों के प्राइवेट क्लीनिक पर जाने पर उनके तय लैब और मेडिकल स्टोर से ही दवा लेना पड़ी है। मरीज की मजबूरी का फायदा उठाकर डॉक्टर तगड़ा कमीशन वसूल रहे हैं। जबकि सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल होने पर मरीजों को ये अतिरिक्त बोझ नहीं उठा पा रहे हैं।

सरकारी अस्पताल में सस्ते इलाज से वंचित मरीज


सरकारी डॉक्टरों का यह कृत्य न केवल प्रशासन की नीतियों का उल्लंघन है, बल्कि यह मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य को भी कमजोर करता है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में सस्ते और गुणवत्तापूर्ण इलाज की उम्मीद होती है, लेकिन जब डॉक्टर निजी क्लीनिकों में इन सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो जाती है।

मरीजों का विश्वास भी तोड़ रहे डॉक्टर


अगर यह स्थिति यूं ही जारी रही, तो यह न केवल सरकारी अस्पतालों की सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा, बल्कि मरीजों के विश्वास को भी हानि पहुंचाएगा। इस पूरी स्थिति को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट क्लीनिकों में हो रहे इस प्रकार के गलत इस्तेमाल पर तुरंत जांच शुरू करें। इसके साथ ही, प्रशासन को चाहिए कि वह इस पर सख्त कार्रवाई करे और नियमों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। यदि ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज किया गया, तो यह न केवल सरकारी अस्पतालों की विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा, बल्कि नागरिकों का स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ सकता है।


नियमों का उल्लंघन और प्रशासन की चुप्पी


स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे इस तरह की अव्यवस्था पर कार्रवाई करें, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जबकि कई बार इस मामले की शिकायतें भी आई हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है। इस स्थिति ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस समस्या से अवगत नहीं हैं, या फिर वे जानबूझकर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं?

पत्रिका व्यू


सरकारी डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट क्लीनिकों में मशीनों और लैब सुविधाओं का गलत इस्तेमाल पूरी तरह से अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और मरीजों के साथ धोखाधड़ी को बढ़ावा देता है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वे जल्द से जल्द इस पर कार्रवाई करें और नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। साथ ही, डॉक्टरों को जागरूक करने की अपने पेशेवर कर्तव्यों और नैतिक जिम्मेदारियों का पालन कराने के लिए नैतिकता सिखाने की जरूरत है, ताकि जन स्वास्थ्य सेवाएं सुरक्षित और प्रभावी बनी रहें।

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