छतरपुर. जिले में अवैध शराब के कारोबार को लेकर प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बावजूद यह कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के सीमावर्ती इलाकों में अब भी महुआ से शराब बनाने की अवैध गतिविधियां जोर-शोर से चल रही हैं। इमलिया- सरसेड़ गांव में शराब बनाने का अवैध कारोबार चल रहा है, जहां महुआ से शराब बनाने की भट्टी धधक रही है।
1.स्थान इमलिया
कबूतर डेरा
यूपी की सीमा के नजदीक इमलिया में कबूतर डेरा पर भट्टी से कच्ची शराब बनाई जा रही है। आम तौर पर एक दम से नजर न आने वाली जगह पर महुआ लहान से भट्टी पर शराब का निर्माण किया जा रहा है। दो भट्टी के जरिए चार बर्तनो से बाष्पीकरण कर अवैध शराब बनाई जा रही है। आसपास के रास्तों पर लोग निगरानी कर रहे है ताकि पुलिस-आबकारी के आने से पहले भागा जा सके।
- स्थान सरसेड
कबूतर डेरा
उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती इलाके में हरपालपुर के पास सरसेड़ गांव से लगा कबूतर डेरा में भी अवैध शराब की भट्टी चल रही है। बीहड़ जैसे इस इलाके में झाडिय़ों के बीच भट्टी पर महुआ लहान चढ़ाकर अवैध शराब बनाई जा रही है। भट्टी ऐसी जगह लगाई गई है कि किसी भी दिशा से आने वाले की पर काला कारोबार करने वालों की नजर पहले पड़ जाएगी। इसलिए कभी भी छापेमारी में लोग पकड़े नहीं जाते हैं।
कड़ी निगरानी के बावजूद शराब का अवैध कारोबार
इमलिया गांव जो जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है, में महुआ से शराब बनाने की अवैध गतिविधियां पिछले कई सालों से चल रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस कारोबार में स्थानीय लोग और बाहरी व्यक्ति भी शामिल हैं, जो कानून की नजर से बचकर शराब बनाने का काम करते हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, महुआ से बनी शराब की भट्टी इमलिया गांव के बाहर एक सुनसान इलाके में जल रही थी, जहां से शराब का अवैध कारोबार होता है। पुलिस की छापेमारी से पहले ही शराब बनाने के अवैध ठिकानों के बारे में ग्रामीणों ने किसी को सूचना दे दी थी, जिससे कारोबारी समय रहते फरार हो गए।
पुलिस ने की कार्रवाई, मगर कोई नतीजा नहीं
इस मामले में छतरपुर पुलिस व आबकारी द्वारा कई बार कार्रवाई की गई थी, लेकिन कई बार यह कारोबार पुन: शुरू हो जाता है। सीमावर्ती इलाकों में होने के कारण अवैध शराब बनाने वाले इस कारोबार में लगे लोग आसानी से पुलिस की नजरों से बच जाते हैं।
इमलिया गांव के आसपास रहने वाले ग्रामीण इस अवैध कारोबार के बारे में तो जानते हैं, लेकिन पुलिस को किसी भी सूचना देने से कतराते हैं। उनका कहना है कि अगर उन्होंने पुलिस को सूचना दी, तो वे खुद भी पुलिस के निशाने पर आ सकते हैं। अवैध शराब के कारोबार में लगे लोग अक्सर ग्रामीणों को धमकाते हैं और उनके खिलाफ शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देते हैं।
सरकार की ओर से सख्त कदम उठाने की जरूरत
अब सवाल यह उठता है कि जब जिले में अवैध शराब के कारोबार पर लगातार निगरानी रखी जा रही है, तो इसके बावजूद यह कारोबार क्यों नहीं रुक पा रहा? स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस पर सवाल उठा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सुनील रिछारिया का कहना है कि अवैध शराब बनाने के इस कारोबार को रोकने के लिए सरकार को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। केवल पुलिस की छापेमारी से यह समस्या हल नहीं हो सकती। इसके लिए प्रशासन को एक ठोस योजना तैयार करनी होगी, ताकि स्थानीय लोग डर के बजाय इसका विरोध करें और अवैध शराब के कारोबार में शामिल होने वाले लोगों के खिलाफ सबूत जुटाए जा सकें।
मदिरा के सेवन से बढ़ रही समस्याएं
अवैध शराब के सेवन से क्षेत्र में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। ग्रामीण इलाकों में जहरीली शराब के सेवन से मौतों की संख्या भी बढ़ी है। अवैध शराब के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी विकराल रूप धारण कर चुकी हैं। अवैध शराब के कारोबार को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए पुलिस को और अधिक सक्रियता दिखानी होगी। इसके अलावा, शराब के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए सामाजिक अभियानों की जरूरत है, ताकि लोग इस अवैध कारोबार के खतरों को समझ सकें।