किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का बहुत अधिक महत्तव होता है। वहीं आजकल के अभिभावक इस बात पर काफी जागरूक भी नजर आते हैं कि उन्हें अपने बच्चों को एक बेहतरीन शिक्षा देकर उनका जीवन अच्छा बनाना है। जिसके चलते शहरों में बड़े-बड़े स्कूल और कोचिंग सेंटर भी खोले जा रहे हैं। लेकिन शहर समेत जिले कोचिंग सेंटर संचालन के लिए मापदंड तय नहीं होने से गली और मोहल्लों में कोचिंग सेंटरों का मनमाने ढंग से संचालन हो रहा है। कोई गाइड लाइन नहीं होने से संचालित कई कोचिंग सेंटरों पर स्टूडेंट्स की आवाजाही वाहनों से रास्ते पर जाम की स्थिति बनी रहती है। साथ ही कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा के बंदोबस्त नहीं होने से छात्र-छात्राएं भी असुरक्षित रहते हैं।
जरूरी हैं यह व्यवस्थाएं कोचिंग संस्थान के भवन का क्षेत्रफल कम से कम 300 वर्ग मीटर होना आवश्यक है। संस्थान के बाहर न्यूनतम 40 फीट का मार्ग होना चाहिए। कोचिंग आने वाले अभ्यर्थियों अभिभावकों के वाहनों के लिए निर्धारित पार्किंग, शिक्षण के लिए प्रयुक्त प्रत्येक कक्ष में आने-जाने का पृथक द्वार जरूरी हैं। प्रत्येक तल पर प्रवेश निकास के लिए दो सीढिय़ां होना अनिवार्य है। कोचिंग संस्थान में छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग से शौचालय होना आवश्यक है। कोचिंग सेंटरों के लिए प्रस्तावित भवनों में अग्निशमन संबंधी समस्त प्रावधानों की पालन करना सुनिश्चित करनी जरूरी है।
नहीं है अग्निशमन यंत्र शहर में करीब एक सैकड़ा कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। जिसमें से बडे और प्रदेश स्तरीय कोचिंग सेंटर की संख्या एक दर्जन हैं। इसकी हकीकत जानने की कोशिश की गई तो चौकाने वाले हालात सामने आए। शहर के बडे-बडे कोचिंग सेंटरों में फायर सेफ्टी नहीं हैं। पूरे शहर में मात्र दो-तीन सेंटर में एक-एक अग्निशमन सिलेंडर यंत्र रखकर कागजों में सुरक्षा का अहसास कराया जा रहा है।