छतरपुर

मौसम में बदलाव से वायरल की चपेट में आ रहे लोग, गले में दर्द की शिकायत, 10 दिन में ठीक हो रही खांसी

तापमान में परिवर्तन के साथ दिन और रात के पारा में दो गुना का अंतर है। दिन से रात का तापमान आधा है। इस कारण सीजनल वायरल बीमारी के मरीज बढने लगे हैं।

छतरपुरOct 22, 2024 / 10:29 am

Dharmendra Singh

ओपीडी में मरीजों की लाइन

छतरपुर. तापमान में परिवर्तन के साथ दिन और रात के पारा में दो गुना का अंतर है। दिन से रात का तापमान आधा है। इस कारण सीजनल वायरल बीमारी के मरीज बढने लगे हैं। जिला अस्पताल में अवकाश के दिनों में भी रोजाना मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल आने वाले ज्यादातर मरीजों को सर्दी-खांसी और शरीर में टूटन जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। फ्लू वाले लक्षणों के चलते मरीजों को डरने की जरूरत नहीं है, वायरल फीवर में सर्दी-खांसी के साथ शरीर में टूटन, दर्द जैसे लक्षण होते हैं, वायरल होने पर दवा के साथ तीन दिन में लक्षण कम होने लगते हैं, लेकिन अगर हाईग्रेड बुखार के साथ खांसी-सर्दी है और दवा लेने पर भी बुखार नहीं उतर रहा है, तो टेस्ट कराने की जरूरत है।

अवकाश के दिन भी ओपीडी में बढ़े मरीज


वायरल के चलते सर्दी-खांसी से पीडि़त मरीज छुट्टी के दिन जिला अस्पताल पहुंचे हैं। सामान्य तौर पर जिला अस्पताल की ओपीडी में अवकाश के दिन 20 से 30 फीसदी मरीज ही आते हैं, लेकिन पिछले तीन दिन से 50 फीसदी मरीज ओपीडी पहुंच रहे हैं। ज्यादातार मरीजों को खांसी और गले में दर्द की शिकायत है।

दिन व रात के तापमान में अंतर का प्रभाव


मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. शिवम दीक्षित ने बताया कि दिन और रात के तापमान में अंतर के कारण फिलहाल सीजनल वायरल के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इन मरीजों को खांसी-सर्दी और बदन दर्ज जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लेने से सीजनल बीमारी वाले मरीजों को तीन दिन में आराम मिल जाता है। लेकिन किसी मरीज को हाईग्रेड फीवर यानि तेज बुखार आ रहा है तो टेस्ट कराना जरूरी है। वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुदीप जैन का कहना है कि सीजनल वायरल से घबराने की जरूरत नहीं है। वर्तमान में बच्चों व बुजुर्गो पर मौसम परिवर्तन का असर देखने में मिल रहा है, जिसके चलते सर्दी-खांसी के मरीज बढ़े हैं।

शुरुआत में ही ठंड से बचाव जरूरी


डॉ. सुदीप जैन ने बताया कि वायरल के मरीजों को तेज बुखार नहीं आता है, शरीर में दर्द रहता है। सर्दी-खांसी की समस्या में दवा लेने के साथ ही तीन दिन में आराम मिल जाता है। मरीजों को ठंड़ा खाना और पानी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। डॉ. शिवम दीक्षित का कहना है कि मौसम में परिवर्तन के कारण वायरल का सीजन चल रहा है। वायरल से बचने के लिए मुंह को ढंककर रखें, खासतौर पर भीड़ भाड़ वाली जगह पर जाते समय ये सावधानी रखे। हो सके तो मास्क का प्रयोग करें। खांसते और छींकते समय रूमाल से मुंह और नाक को ढकें। गंदगी से बचे और घर व आसपास सफाई रखें। खानपान का विशेष ध्यान रखे, जहां तक हो सके इस मौसम में बाहर का खाना या बासी खाना न खाएं।

वायरल पसार रहा पैर


वायरल का हमला घर- घर में हो रहा है। डॉक्टर्स के मुताबिक बाहर से आकर तुरंत ठंडा पानी पीने से लोग वायरल के शिकार हो रहे हैं। इसके साथ ही संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से भी मरीजो की संख्या रोजाना बढ़ रही है। वायरल बुखार, खांसी व सर्दी से पीडि़त मरीजों के संपर्क में आने से सामान्य लोग भी वायरल का शिकार हो रहे हैं। घर में एक व्यक्ति को भी वायरल बुखार आ जाने पर धीरे-धीरे पूरा परिवार वायरल का शिकार हो जा रहा है। मरीज के खांसने से वायरल का बैक्टीरिया हवा में फैल जाता है। जिसके बाद उस हवा के संपर्क में आने से स्वांस के जरिए बैक्टिीरिया अन्य लोगों के शरीर में प्रवेश कर उन्हें भी संक्रमित कर रहा है।

ये है वायरल बुखार


वायरल बुखार इन्फ्लूएन्जा या पैरा-इन्फ्लूएन्जा वायरस के के कारण होता है। यह वायरस सांस के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है और हमारी श्वसन प्रणाली के प्राथमिक अंगों जैसे नाक, गला पर हमला करता है जिस कारण गले में खराश, जुकाम आदि होते हैं। हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति उस वायरस को नष्ट करने की कोशिश करती है जिस कारण हमारे शरीर का तापमान बढ़ता है। इसे ही वायरल बुखार कहा जाता है। वायरल होने से शरीर में कुछ खास लक्षण दिखते हैं, जैसे गले में दर्द, खांसी, सिर दर्द, थकान, जोड़ों में दर्द के साथ ही उल्टी और दस्त होना, आंखों का लाल होना और माथे का बहुत तेज गर्म होना आदि वायरल बुखार के लक्षण हैं।

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