छतरपुर

1800 रुपए रिश्वत लेते धराया था पटवारी, अब मिली 5 साल की कैद और 20 हजार जुर्माना भी

पटवारी को 5 साल की कठोर कैद, कोर्ट ने 20 हजार का जुर्माना भी लगाया।

छतरपुरDec 28, 2022 / 08:50 pm

Faiz

1800 रुपए रिश्वत लेते धराया था पटवारी, अब मिली 5 साल की कैद और 20 हजार जुर्माना भी

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित एक खेत में बने कुएं को शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज कराने और उसकी बंदी बनाने के एवज में रिश्वत लेते पकड़े गए पटवारी को पांच साल की कठोर कैद के साथ 20 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई गई है। फैसला सुनाने के बाद कोर्ट ने आरोपी पटवारी को जेल भेज दिया है।


मामले को लेकर एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि, फरियादी नीरज पटेल निवासी कटारे का पुरवा ने 20 जुलाई 2015 को लोकायुक्त पुलिस सागर को इस आशय की शिकायत की थी कि, नीरज के खेत में पुराना कुआं बना हुआ था। कुएं को शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज कराकर उसकी बंदी बनवाना चाहता था। पटवारी संतोष अहिरवार ग्राम बोड़ा हल्का 31 के द्वारा इस काम को करने के एवज में 2500 रुपए रिश्वत मांगी जा रही है। फरियादी उसे रंगे हाथो पकड़वाना चाहता है।

 

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इस तरह धराया था घूसखोर पटवारी

21 जुलाई को लोकायुक्त पुलिस ने नीरज को वायस रिकॉर्ड देकर पटवारी की रिश्वत संबंधी बातो को रिकॉर्ड कराया और इसी बात चीत के दौरान पटवारी संतोष ने नीरज से 1800 रुपए रिश्वत की मांग की। ट्रेप दल के साथ नीरज बिजावर पटवारी के निवास पहुंचा और नीरज ने रिश्वत की राशि 1800 रुपए पटवारी को देने के बाद ट्रेप दल को इशारा किया। ट्रेप दल ने पटवारी संतोष को रंगे हाथो पकड़ लिया था।

 

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भ्रष्टचार देश के विकास में बाधा, समाज हो रहा खोखला- न्यायाधीश

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ के.के गौतम ने पैरवी करते हुए दलील रखी कि, जब पटवारी के द्वारा ही भ्रष्टाचार किया जाने लगेगा तो समाज के लिए बहुत घातक है। आरोपी को कठोर से कठोर सजा दी जाए। इसपर विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिंहा की कोर्ट ने फैसला सुनाया कि, लोक सेवको द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। ये समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नीव को हिला रहा है। ऐसे आरोपियों को सजा देते समय नरम रुख दिखाना कानून की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है। कोर्ट ने आरोपी पटवारी संतोष अहिरवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पांच साल की कठोर कैद के साथ 20 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।

 

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