छतरपुर. शहर में दौड़ रही अनफिट और खटारा बसों में यात्रियों की जिंदगी दांव पर है, लेकिन इसके बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारी अनदेखी करते हुए इन बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं। शहर में इन कंडम बसों में न तो सुरक्षा के पर्याप्त उपाय हैं, न ही आग बुझाने के साधन, और न ही प्राथमिक चिकित्सा किट। कुछ बसों में फायर फाइटिंग सिस्टम जरूर लगे हैं, लेकिन वे भी एक्सपायर हो चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे इन बसों को परिवहन विभाग द्वारा फिटनेस प्रमाणपत्र मिल रहे हैं।
बसों की हिलती बॉडी, टूटी सीढिय़ां और लॉक न होने वाले गेट
बस स्टैंड पर खड़ी कई बसों की बॉडी हिल रही है, गेट ठीक से लॉक नहीं हो रहे, और कई बसों की सीढयि़ां तक टूट चुकी हैं। इन बसों में यात्रियों को ढूंस-ठूंसकर भरा जा रहा है, और इसके बावजूद भी इनका संचालन जारी है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि कंडम और खटारा बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र कैसे मिल रहे हैं। परिवहन विभाग के अधिकारी इस पर गोलमोल जवाब दे रहे हैं।
इमरजेंसी गेट भी पैक
शहर में संचालित अधिकांश बसों में इमरजेंसी गेट केवल औपचारिकता की तरह हैं। इन गेट्स को लॉक कर दिया गया है और सीटों से पैक कर दिया गया है, जिससे आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को बाहर निकलने में मुश्किल हो सकती है। यदि ऐसी बसों में कोई दुर्घटना होती है, तो यात्रियों की जान को गंभीर खतरा हो सकता है।
इन मार्गो पर हो रहा अनफिट बसों का संचालन
छतरपुर बस स्टैंड से सरवई, महाराजपुर, महोबा, झांसी, चंवल, नौगांव, और राजनगर रूट्स पर सबसे अधिक धक्कामार बसें दौड़ रही हैं। इसके अलावा, बड़ामलहरा, ईशानगर, लवकुशनगर, बिजावर, बकस्वाहा, सागर और दमोह रूट्स पर भी अनफिट बसों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। परिवहन विभाग के चेकिंग टीम को पहले से इन बसों की जानकारी मिल जाती है, जिससे वे अचानक अपना स्टॉप बदलकर बच निकलते हैं। जब तक गंभीर दुर्घटना नहीं होती, तब तक इन बसों का संचालन रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए
यात्री बसों की जांच के लिए तीनों चेक पोस्ट प्रभारियों को पत्र जारी किया गया है। जांच में यदि कोई अनफिट या खतरनाक बस संचालित पाई जाती है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विक्रम सिंह कंग, आरटीओ छतरपुर