छतरपुर

असाक्षरों को साक्षर बनाने के अभियान से सवा लाख ग्रामीण पढ़े, तीन साल में ढाई लाख और पढ़ेंगे

जिले में चिंहित किए गए असाक्षरों को साक्षर करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस साल पूरे जिले में एक लाख असाक्षर साक्षर बनाए जा रहे हैं। साल में दो बार होने वाली परीक्षा में पहली परीक्षा में 30500 पास हुए और अब अगली परीक्षा में 70 हजार असाक्षर साक्षर बनेंगे।

छतरपुरSep 17, 2024 / 10:50 am

Dharmendra Singh

गांव की प्रौढ़ महिलाओं को पढाती उप राष्ट्रपति से सम्मानित वालंटियर मांडवी सोनी

छतरपुर. जिले में चिंहित किए गए असाक्षरों को साक्षर करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस साल पूरे जिले में एक लाख असाक्षर साक्षर बनाए जा रहे हैं। साल में दो बार होने वाली परीक्षा में पहली परीक्षा में 30500 पास हुए और अब अगली परीक्षा में 70 हजार असाक्षर साक्षर बनेंगे। जिले को तीन साल में पूर्ण साक्षर बनाने के लिए चलाया जा रहा ये अभियान 2022 में शुरू हुआ। जनगणना वर्ष 2011 के आधार पर जिले में कुल 3 लाख 75 हजार 522 असाक्षर चिंहित हुए थे। जिसमें से अब तक 1 लाख 25 हजार 877 साक्षर हुए हैं।

गांव-गांव में बनाए अक्षर साथी


इनको शिक्षित करने के लिए पढ़े-लिखे नौजवानों को (वालंटियर के रूप में) अक्षर साथी बनकर काम करने की जिम्मेदारी दी गई है। जिले के सभी विकास खंडों में ऐसे उत्साही युवक जो पढ़े लिखे हैं, वे अपने ही गांव और मोहल्ले में सामाजिक चेतना केंद्र संचालित कर रहे हैं। ग्राम करारा गंज में जब नवभारत साक्षरता कार्यक्रम की शुरुआत की गई, तब कुछ अक्षर साथी ही पढ़ाने के लिए तैयार हुए। उन्होंने अप्रेल 2023 में सर्वे किया और 10-10 असाक्षरों को पढ़ाने के लिए केंद्र का संचालन शुरु कर दिया।

चेतना केंद्रों पर मिल रही ये सुविधाएं


इन केंद्रों के संचालन के लिए आवश्यक सामग्री लाइट, पंखे, पेयजल और बैठक व्यवस्था कराई जा रही है। साथ ही शाला एवं सामाजिक चेतना केंद्र में उपलब्ध रोलर बोर्ड, स्लेट, बत्ती, चाक, डस्टर, शब्द और चार्ट आदि की व्यवस्था एवं मॉनिटरिंग नोडल अधिकारी व शाला प्रभारी को दी गई है। नोडल अधिकारी व शाला प्रभारी की जवाबदारी है कि 2011 की जनगणना के अनुसार असाक्षरों एवं अक्षर साथियों का चिह्नांकन कराते हुए असाक्षर पंजी रजिस्टर को अद्यतन कराएं और उन्हें सामाजिक चेतना केंद ्रसे जोड़े।

लोगों को पढऩे के लिए तैयार करना रहा मुश्किल


यहां मुश्किल ये आई कि बहुत सारे लोग पढऩे के लिए तैयार नहीं थे। सभी कुछ न कुछ कारण बताकर पढऩे से जी कतरा जाते। करारा गंज बेटी एंव शिक्षिका कल्पना मुखरैया ने गांव की शिक्षित लड़कियों को तैयार किया। फिर गोपाल सोनी कल्पना मुखरैया ने अक्षर साथियों रीना सेन, कुरेशा बानो, मांडवी सोनी क्षमा मुखरैया, खुशी सिंह, पुष्पा सेन चंद्रभान कुशवाहा, चतुर यादव, अनुराधा मुखरैया इनके साथ मिलकर गांव में लोगों से मिले बातचीत की। उन्हें साक्षरता कार्यक्रम के बारे में बताया गया साथ ही पढऩे के लिए जागरूक किया गया। गांव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा प्रभावित हुई और केंद्र पर उनकी संख्या ज्यादा दिखाई दी। सभी अक्षर साथी पूरी लगन और मेहनत के साथ काम किया और उसका रिजल्ट भी हमें देखने को मिला।

अभियान चलाकर किया चिंहत


जिला पंचायत सीईओ तपस्या परिहार के आदेश पर जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के शिक्षकों ने गांव-गांव अभियान चलाकर असाक्षरों को चिह्नित किया है। साल के पहले इसके पहले बैच में 30500 असाक्षरों को साक्षर साक्षर किया गया है। जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी शिवेंद्र कुमार निगम के अनुसार साक्षर हो रहे लोगों की परीक्षा उनके गांव और कस्बा के स्कूल में परीक्षा ली गई।

इनका कहना है


आगामी परीक्षा में 70 हजार असाक्षरों को साक्षर करने के लिए चिंहित किए गए हैं। छतरपुर के प्रयासों का उच्च स्तर पर सराहा गया है। करारागंज की वालंटियर मांडवी सोनी को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उपराष्ट्रपति ने सम्मानित किया है।
शिवेन्द्र निगम, प्रभारी अधिकारी, प्रौढ शिक्षा

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