मामला जिले के ईशानगर का है। बताया जा रहा है कि एक आदिवासी परिवार प्रसूता की डिलेवरी कराने ईशानगर स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचा। स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ नर्स प्रीति प्रजापति परिवार से 2 हजार रुपए की रिश्वत की डिमांड कर दी। क्योंकि परिवार के पास पैसे थे ही नहीं, इसलिए उन्होंने पैसे न दे पाने की बात कही। इसपर नर्स इतनी खफा हुई कि, उसने दर्द से कराहती हुई गर्भवती महिला की डिलीवरी कराने से ही इंकार कर दिया। इसके बाद गर्भवती दर्द में तपपती हुई, जैसे-तैसे शौच के लिए बाथरुम में गई, जहां उसके बच्चे का जन्म हो गया।
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जमीन पर गिरने से नवजात की मौत
हालांकि, बाथरूम की जमीन पर अचानक गिरने से नवजात बच्ची की मौत हो गई। नवजात की मौत के बाद परिजन ने नर्स के खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज कराया। साथ ही, बताया कि अगर नर्स अपनी ड्यूटी करते हुए गर्भवती की सहायता करती तो शायद उनकी बच्ची इस परिस्थिति में दुनिया में आकर जान न गवाती। परिजन ने रिश्वतखोरी की वजह से नवजात बच्ची मौत की शिकायत ईशानगर थाने में दर्ज कराई। यह भी पढ़ें- पुष्पा फिल्म की स्टाइल में चंदन की तस्करी, कर्नाटक के तस्करों का तरीका देख पुलिस भी रह गई हक्की-बक्की
स्वास्थ विभाग का एक्शन
इधर, मामला सामने आने के बाद स्वास्थ विभाग ने भी तत्काल एक्शन लिया और नर्स प्रीति प्रजापति को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य ने निलंबन की कार्रवाई की है। साथ ही, ड्यूटी पर तौनात डॉक्टर और बीएमओ के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं।जीतू पटवारी का हमला
मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा- ‘छतरपुर के ईशानगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गरीब आदिवासी परिवार से डिलीवरी करवाने के लिए नर्स ने 2 हजार रुपए मांगे! नहीं दिए तो जिला अस्पताल जाने के लिए कह दिया! परेशान महिला वॉशरूम गई, वहां डिलीवरी हो गई! परिजन फिर नर्स को बुलाने गए, लेकिन उसने फिर इनकार कर दिया! उधर, वॉशरूम में गिरने से नवजात बच्ची को ऐसी चोट आई कि मौत ही हो गई! अराजकता की ऐसी इंतहा तभी संभव है, जब व्यवस्था निरंकुश/बेलगाम हो चुकी हो! जांच की औपचारिकता, अब दिखावे की कार्रवाई की जाएगी! क्योंकि, प्रदेश भाजपा इसी में दक्ष है! मोहन भैया,
फिर से, आपसे सिर्फ दो सवाल!
सोये सिस्टम को जगाया भी करो!!
फिर से, आपसे सिर्फ दो सवाल!
- आदिवासी कब तक पीड़ित/प्रताड़ित होंगे?
- यह गैर इरादतन हत्या का मामला नहीं है?
सोये सिस्टम को जगाया भी करो!!