बिजावर में 650 मेगावाट सोलर प्लांट का जिक्र नहीं
थर्मल पावर प्लांट की जगह सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना बनाई गई तो उसे दो पार्ट में लगाने की कवायद शुरु हुई। जिसमें पहला पार्ट बरेठी में 550 मेगावाट और दूसरा पार्ट बिजावर इलाके में 650 मेगावाट का बनाया जाना प्रस्तावित किया गया। वर्ष 2017 से बंद पड़े प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया जुलाई 2019 में मध्यप्रदेश विधानसभा में लाए गए अशासकीय प्रस्ताव के बाद सोलर प्लांट के लिए सहमति बनी और राज्य सरकार ने अशासकीय संकल्प पत्र केन्द्र को भेजा था। जिस पर सोलर पावर प्लांट लगाने की कवायद शुरु हुई। लेकिन अब के न्द्रीय राज्य मंत्री ने साफ कर दिया है कि सोलर प्लांट केवल बरेठी की प्रस्तावित जमीन पर ही लगेगा।
थर्मल पावर प्लांट की जगह सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना बनाई गई तो उसे दो पार्ट में लगाने की कवायद शुरु हुई। जिसमें पहला पार्ट बरेठी में 550 मेगावाट और दूसरा पार्ट बिजावर इलाके में 650 मेगावाट का बनाया जाना प्रस्तावित किया गया। वर्ष 2017 से बंद पड़े प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया जुलाई 2019 में मध्यप्रदेश विधानसभा में लाए गए अशासकीय प्रस्ताव के बाद सोलर प्लांट के लिए सहमति बनी और राज्य सरकार ने अशासकीय संकल्प पत्र केन्द्र को भेजा था। जिस पर सोलर पावर प्लांट लगाने की कवायद शुरु हुई। लेकिन अब के न्द्रीय राज्य मंत्री ने साफ कर दिया है कि सोलर प्लांट केवल बरेठी की प्रस्तावित जमीन पर ही लगेगा।
पर्यावरण मंजूरी में अटक गया था थर्मल पावर प्लांट
छतरपुर मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम बरेठी में 28000 करोड़ की लागत से 2013 में प्रस्तावित एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांट के लिए 2839 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन पर्यावरण मंजूरी न मिलने कारण कोयले से बिजली बनाने के इस पावर प्लांट का वर्ष 2017 से अधर में लटक गया था।
छतरपुर मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम बरेठी में 28000 करोड़ की लागत से 2013 में प्रस्तावित एनटीपीसी के थर्मल पावर प्लांट के लिए 2839 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन पर्यावरण मंजूरी न मिलने कारण कोयले से बिजली बनाने के इस पावर प्लांट का वर्ष 2017 से अधर में लटक गया था।
२०१९ में दोबारा उठा मुद्दा
इस मुद्दे पर वर्ष 2019 में विधानसभा सत्र के दौरान विधायक आलोक चतुर्वेदी ने आवाज उठाई थी। उनके द्वारा इस पावर प्लांट को जल्द से जल्द चालू कराने के लिए विधानसभा में अशासकीय संकल्प लाया गया था। इस अशासकीय संकल्प पर प्रदेश विधानसभा के पक्ष और विपक्ष ने बिना बहस के अपनी सहमति दी और केंद्र सरकार को भेजने की मंजूरी दे दी। जिसके बाद सरकार ने इस अशासकीय संकल्प को केंद्र सरकार को भेज दिया था। विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान एनटीपीसी ने पर्यावरण दिक्कतों के कारण हो रही समस्याओं को दूर करने का सुझाव देते हुए कहा था कि यदि यहां थर्मल यानी कोयले की जगह सोलर यानी सूर्य की रोशनी से बिजली बनाने का प्लांट लगाया जाए तो एनटीपीसी द्वारा अधिगृहित की गई जमीन का इस्तेमाल भी हो जाएगा और पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं भी नहीं होंगी। मध्यप्रदेश सरकार व एनटीपीसी द्वारा इस मुद्दे पर अनौपचारिक सहमति बन चुकी थी। अब एनटीपीसी के इस पावर प्लांट को चालू कराने के लिए इसी सहमति के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरु हो गई है।
इस मुद्दे पर वर्ष 2019 में विधानसभा सत्र के दौरान विधायक आलोक चतुर्वेदी ने आवाज उठाई थी। उनके द्वारा इस पावर प्लांट को जल्द से जल्द चालू कराने के लिए विधानसभा में अशासकीय संकल्प लाया गया था। इस अशासकीय संकल्प पर प्रदेश विधानसभा के पक्ष और विपक्ष ने बिना बहस के अपनी सहमति दी और केंद्र सरकार को भेजने की मंजूरी दे दी। जिसके बाद सरकार ने इस अशासकीय संकल्प को केंद्र सरकार को भेज दिया था। विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान एनटीपीसी ने पर्यावरण दिक्कतों के कारण हो रही समस्याओं को दूर करने का सुझाव देते हुए कहा था कि यदि यहां थर्मल यानी कोयले की जगह सोलर यानी सूर्य की रोशनी से बिजली बनाने का प्लांट लगाया जाए तो एनटीपीसी द्वारा अधिगृहित की गई जमीन का इस्तेमाल भी हो जाएगा और पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं भी नहीं होंगी। मध्यप्रदेश सरकार व एनटीपीसी द्वारा इस मुद्दे पर अनौपचारिक सहमति बन चुकी थी। अब एनटीपीसी के इस पावर प्लांट को चालू कराने के लिए इसी सहमति के आधार पर आगे की प्रक्रिया शुरु हो गई है।