छतरपुर

रामलीला में अयोध्या में राज्याभिषेक व कोप भवन प्रसंग का हुआ मंचन

छतरपुर. नगर की प्रसिद्ध श्री अन्नपूर्णा रामलीला समिति के तत्वावधान मे रामचरित मानस भवन मे हो रही रामलीला के आठवें दिन गुरुवार को अयोध्या में राज्याभिषेक और कोप भवन प्रसंग की लीला हुई।

छतरपुरOct 05, 2024 / 01:10 am

Suryakant Pauranik

मंचन करते कलाकार

भगवान राम के वनवास जाते ही छलके आंसू
छतरपुर. नगर की प्रसिद्ध श्री अन्नपूर्णा रामलीला समिति के तत्वावधान मे रामचरित मानस भवन मे हो रही रामलीला के आठवें दिन गुरुवार को अयोध्या में राज्याभिषेक और कोप भवन प्रसंग की लीला हुई। राजा दशरथ ने राम को अयोध्या का उत्तराधिकारी बनाने का निर्णय लिया। राम के राजतिलक की तैयारियां शुरू हो गईं। यह देखकर देवताओं में खलबली मच गई। आनन फानन देवता मां सरस्वती के पास पहुंचे और निवेदन किया कि कुछ ऐसा उपाय करें, जिससे राम राजपाट छोडकऱ वन चले जाएं। जिस कार्य के लिए धरती पर अवतार लिया वह पूरा हो सके। देवताओं की बात सुनकर माता सरस्वती ने कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि फेर दी। मंथरा ने कैकेयी को ऐसा गुमराह किया कि वह कोप भवन में पहुंच गईं।
छाती पीट-पीटकर जमीन पर तड़पे राजा दशरथ

कोप भवन में राजा दशरथ उन्हें मनाने जाते हैं। कैकेयी ने राम के लिए 14 वर्ष का वनवास और भरत के लिए राजगद्दी मांग ली। यह सुनकर राजा दशरथ जमीन पर गिर पड़े। वह कहती हैं कि कुछ भी कर लो तुम्हारी माया नहीं चलने दूंगी। राजा दशरथ कहते हैं कि सूर्यवंश के लिए कुल्हाड़ी न बनो। वे छाती पीट-पीटकर जमीन पर तड़पने लगे और अचेत हो गए। सेवक के कहने पर सुमंत कोप भवन पहुंचे तो वह राजा दशरथ की दशा देखकर परेशान हो गए। कैकेयी ने उनसे राम को बुलाने को कहा। जब राम कोप भवन पहुंचे तो कैकेयी ने उन्हें वरदान के बारे में बताया। उनकी बात सुनकर श्रीराम सहर्ष वन जाने के लिए तैयार हो गए। दशरथ उन्हें गले लगाकर कुछ बोल नहीं पाए। सभी विधाता को कोसने लगे। गुरु वशिष्ठ ने कैकेयी को समझाने का प्रयास किया। सखियों ने भी कोसा, लेकिन कैकेयी पर असर नहीं हुआ। सुमंत ने कौशल्या को वरदान के बारे में बताया तो उन्होंने पिता की आज्ञा से राम को वन जाने की अनुमति दे दी। उसी समय सीता आकर उनके चरण पकडकऱ उन्हें प्रणाम करती हैं तो मां कौशल्या अचल सुहागन होने का आशीर्वाद देती हैं। तत्पश्चात भगवान राम ,माता सीता, भैया लक्ष्मण वनवास के लिए अयोध्या से निकल जाते है।
श्रीराम-केवट संवाद सुनकर भाव विभोर हुए दर्शक

श्री अन्नपूर्णा रामलीला समिति छतरपुर के तत्वावधान में मंचित की जा रही रामलीला में प्रभु श्रीराम के वन गमन तथा श्रीराम- केवट संवाद को सुनकर उपस्थित दर्शक भावविभोर हो गए। रामलीला की भावपूर्ण प्रस्तुति में राम वन गमन के दृश्य की सजीव प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। प्रसंग में भगवान श्रीराम अपने पिता के वचन का मान रखने हेतु माता सीता तथा छोटे भ्राता लक्ष्मण के साथ वन की ओर प्रस्थान करते हैं। रास्ते में मां गंगा को पार करने के लिए केवट से उस पार ले जाने को कहते हैं। इस पर केवट अपने आप को धन्य मानते हुए प्रभु श्रीराम से चरण धोने के पश्चात ही उतराई की बात करता है। जिस पर प्रभु श्रीराम मुस्कुराते हुए सहमति व्यक्त की। केवट प्रफुल्लित व पुलकित मन से कठौता में गंगाजल लेकर प्रभु के चरण को वंदन करते हुए धोकर उसका पान करता है। केवट धन्य धन्य हो कर अपनी मुक्ति के साथ परिजनों एवं पूर्वजों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर दिया। जो स्वयं साक्षात प्रभु के चरण कमल वंदन कर लिया हो। तत्पश्चात भगवान श्री राम, माता सीता, छोटे भाई लक्ष्मण को अपनी नाव पर बैठाकर उस पार करने के पश्चात दंडवत चरण वंदन किया। भगवान द्वारा केवट को नाव की उतराई की बात पर केवट ने कहा, प्रभु आज मुझे सब कुछ मिल गया। बस मुझे जन्म जन्मांतर तक अपनी भक्ति एवं चरणों में स्थान दें, यही हमारी उतराई है। इस भावपूर्ण प्रस्तुति को देखकर उपस्थित दर्शक भाव विभोर हो गए तथा जय श्रीराम के नारे लगाए। रामलीला मंचन में भगवान राम की भूमिका अनमोल दीक्षित व लक्ष्मण की भूमिका शुभम महाराज तथा माता जानकी की भूमिका में रानू मिश्रा , सुमन्त का रोल लक्ष्मन साहू जी तथा केवट की भूमिका कौशल किशोर दीक्षित जी ने निभाया।

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