How the Five Star Hotel made Rajgarh Palace in Chhatarpur
छतरपुर/जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने पूछा कि छतरपुर की सांस्कृतिक धरोहर राजगढ़ पैलेस को फाइव स्टार होटल में कैसे तब्दील कर दिया गया? चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को राज्य सरकार के मुख्य सचिव, पुरातत्व विभाग आयुक्त, संस्कृति व पर्यटन विभागोंं के प्रमुख सचिवों, ओबेरॉय ग्रुप की कंपनी राजगढ़ पैलेस होटल एंड रिसोट्र्स प्रालि व पूर्व महाराजा भवानी सिंह के पोते विक्रम सिंह को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। 19 फरवरी तक का समय दिया गया।
छतरपुर के दुर्गेश खरे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि जिले की राजनगर तहसील में स्थित राजगढ़ पैलेस का निर्माण छतरपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह ने किया था। यह करीब 7.20 एकड़ में बना है। सदियों से यह किला स्थानीय लोगों के लिए गौरव व आनबान का प्रतीक है। इसे स्थानीय लोग अपनी ऐतिहासिक विरासत मानते हैं। 20 नवंबर 1978 को संस्कृति विभाग ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया। 17 साल तक इसे यह दर्जा प्राप्त रहा। लेकिन 11 सितंबर 1995 को अचानक संस्कृति मंत्रालय ने इसका यह दर्जा वापस ले लिया। इतना ही नहीं 11 सितंबर 1995 को ही राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने इस पैलेस को पर्यटन विभाग को स्थानांतरित करने का आदेश जारी कर दिया। पर्यटन विभाग ने 2 सितंबर 1996 को ओबेरॉय ग्रुप ऑफ होटल्स की सहयोगी कंपनी राजगढ़ होटल एंड रिसॉट्र्स के साथ महल में फाइव स्टार होटल संचालित करने का अनुबंध कर लिया। अधिवक्ता अमित सेठ ने तर्क दिया कि साजिश के तहत ओबेरॉय ग्रुप की सहयोगी कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए इस किले को फाइव स्टार होटल में तब्दील करने का अनुबंध किया। आग्रह किया गया कि मामले की जांच कराई जाए। किले को पूर्ववत संरक्षित स्मारक घोषित किया जाए। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। उप महाधिवक्ता प्रवीण दुबे ने जवाब देने के लिए कोर्ट ने समय मांग लिया।