छतरपुर. शहर व जिले में बडी मात्रा में स्टेशनरी, किराना, होजरी और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की यात्री बसों से सप्लाई हो रही है। जीएसटी टैक्स बचाने के लिए व्यापारी अवैध तरीके से बसों के माध्यम से सामान मंगवा रहे हैं। बगैर जीएसटी चुकाए फर्जी बिलों पर लाखों रुपए का सामान खरीदने के बाद व्यापारी इसे ट्रांसपोर्ट में न डालकर बसों में लादकर लाते हैं। इस सामान की न तो कहीं पर चैकिंग हो रही है और न ही इनके बिल देखे जा रहे हैं।
रोजाना चल रही 8 बसें
छतरपुर से दिल्ली रोजाना करीब 8 बसों का संचालन हो रहा है। यह बसें, छतरपुर, महोबा, बड़ामलहरा से दिल्ली के लिए प्रस्थान करती हैं। इन बसों में यात्रियों से अधिक सामान आ रहा है। जिले के व्यापारी ट्रेनों से दिल्ली पहुंचते हैं। वहां खरीदारी करने के बाद वे सामान सहित बसों से आते हैं। व्यापारी लाखों रुपए का सामान खरीदने के बाद दो बिल बनवाते हैं। खरीदे गए सामान में से 10 प्रतिशत का पक्का बिल बनवाकर जीएसटी चुकाते हैं शेष 90 प्रतिशत सामान फर्जी बिलों पर लेकर आते हैं।
यात्री ट्रेन के जरिए भी ला रहे सामान
बसों के साथ ही हरपालपुर स्टेशन के जरिए दिल्ली जाने व आने वाली संपर्क क्रांति, महाकौशल समेत अन्य ट्रेनों के जरिए भी व्यापारी सामान ला रहे हैं। व्यापारी खुद दिल्ली जाते और सामान खरीदकर यात्री की तरह यात्रा करते और सामान को बिना टैक्स दिए लेकर आ रहे हैं। न केवल छतरपुर जिले बल्कि महोबा, टीक मगढ़, पन्ना जिले के व्यापारी भी टैक्स बचाने के लिए ट्रेनों व बसों का इस्तेमाल सामान मंगवाने में कर रहे हैं।
ये सामान आ रहा बिना टैक्स
इन बसों में दिल्ली से रोजाना रेडीमेड गारमेंट, होजरी, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, स्टेशनरी का सामान आ रहा है। इसी प्रकार इन्हीं बसों से आगरा से स्टेशनरी और प्लास्टिक का सामान फर्जी बिल पर आ रहा है। मथुरा में ज्वेलरी, ग्वालियर से मावा, नमकीन और पनीर फर्जी बिलों पर छतरपुर, नौगांव समेत जिले के अन्य नगरों तक पहुंच रहा है। बसों से आ रहा ये सामान कम भाड़े में आ जाता है और टैक्स भी बच जाता है, जिससे व्यापारी बस से सामान मंगवाने में ज्यादा रूचि लेते हैं।
ग्राहकों से वसूल रहे जीएसटी
बगेर जीएसटी चुकाए बसों से आने वाले समन पर व्यापारी फर्जी फर्मों के बिल धमाकर ग्राहकों से जीएसटी वसूल करते हैं। जब भी कोई इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिक, गारमेंट सहित अन्य सामान खरीदा जाता है तो व्यापारी ग्राहकों को जीएसटी जोडकऱ ही रेट तय करते हैं जबकि उनके द्वारा खरीदी के दौरान किसी भी प्रकार का कर नहीं चुकाया गया होता है। शहर में गारमेट, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक और हैंडलूम का सामान जीएसटी जोडकऱ ही बेचा जा रहा है। अगर हक बिल मांगता है तो फर्जी फर्मों के बिल दिए जा रहे हैं।
प्रशासन करेगा संयुक्त कार्रवाई
दिल्ली बसों से फर्जी बिलों पर सामान आने की जानकारी मुझे नहीं है। अगर फर्जी बिलों पर सामान की निकास हो रही है तो सेल्स टैक्स विभाग के साथ मिलकर इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विक्रमजीत सिंह कंग, आरटीओ, छतरपुर