छतरपुर. दीपावली पर्व के समय से जुआ की फड़ ज्यादा सजने लगी हैं। शहर और ग्रामीण इलाके में जगह-जगह फड़ चलाए जा रहे हैं। बड़े जुआ पर पेशेवर जुआरी लाखों रुपए दांव पर लगा रहे हैं। वहीं, ग्रामीण इलाके में फार्महाउस, जंगल और खेतों में जुआ के फड़ लग रहे हैं। जुआ खेलने वालों के हौसले और पुलिस कार्रवाई को लेकर उनकी निश्चिंतता के सबूत के रूप में बीच में जुआ फड़ों पर दांव लगाने के वीडियो भी सोशल मीडिया में सामने आ जाते हैँ। लेकिन पुलिस को ये जुआ फड़ कम ही नजर आते हैं।
स्टिंग 01
स्थान- राजनगर
राजनगर कस्बे के पास जंगल में खुलेआम जुआ की फड़ सजाई गई है। फड़ पर दो दर्जन लोग हाथ में ताश की गड्डी और रुपए लेकर जुआ का दाव लगा रहे हैं। कुछ लोग फड़ के आसपास खड़े होकर आने-जाने वालों पर निगरानी भी रख रहे हैं। लेकिन जुआ के खिलाड़ी बेफिक्र होकर हजारों रुपए के दांव लगा रहे हैं।
स्टिंग 02
स्थान- नौगांव
थाना इलाके में खेत व जंगल के बीच जुआ की फड़ सजी है। जुआ खेलने के लिए वकायदा सारे इंतजाम भी मौजूद हैं। फर्श बिछाकर जुआरियों को बैठने की व्यवस्था की गई है। एक दर्जन जुआरी आराम से बैठकर ताश के पत्तों पर दाव लगा रहे हैं। कोई हजार तो कोई चार हजार रुपए का दाव खेल रहा है।
स्टिंग 01
स्थान- बिजावर
बिजावर थाना इलाके में जंगल में जुआ की फड़ सजी हुई है। जुआ खिलाने वाला पूरे खेल का नेतृत्व करता नजर आ रहा है। ताश की पत्तियां बांटकर दाव लगाया गया। जीतने वाले जुआरी को सभी जुआरी दाव पर लगाए दो से चार हजार रुपए दे रहे हैं। यहां भी जुआरी निश्चिंत होकर जुआ खेलते नजर आ रहे हैं।
नेटवर्क बनाकर चला रहे जुआ फड़
जुआ माफिया द्वारा जुआ की फड़ को संचालित करने का नेटवर्क तैयार किया गया है। इस काम में एक दर्जन से अधिक बेरोजगार युवाओं की 500 रुपए रोज पर सेवाएं ली जाती हैं। अलग-अलग स्थानों से जुआ माफिया द्वारा खिलाडिय़ों को बाइक पर बैठाकर जुआ संचालित होने वाले स्थान तक पहुंचाया जाता है। फिर यही बेरोजगार युवकों को उन रास्तों पर साधारण तौर पर बैठा दिया जाता है कि अगर इस क्षेत्र से कोई भी संदिग्ध वाहन आता दिखाई दे। तो वह तुरंत फोन पर सूचना दें, जिससे खिलाडिय़ों को पुलिस से पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाती है।
ये सब भी हो रहा फड़ों पर
जुआ स्थल पर जुआरियों के लिए शराब, सिगरेट, पानी और खाने का सामान भी उपलब्ध रहता है। अगर कोई खिलाड़ी जुआ में हार रहा है और उसे तुरंत फायनेंस चाहिए तो 10 हजार रुपए पर एक हजार रुपए काटकर 9 हजार रुपए एक दिन के लिए फायनेंस होता है। अब वह जितने दिन बाद पैसे देगा उसे 10 हजार पर एक हजार रुपए प्रतिदिन ब्याज देना होगा। इसके लिए जुआ जीतने वाले जुआरी को अलग से धन राशि संचालकों को देनी होती है।