छतरपुर. जनपद पंचायत गौरिहार 2014-15 में पदस्थ रहे जिले के जिम्मेदारों ने कमीशन के फेर में ऐसी पंचायतों में हाट बाजार के भवन बनवा दिए, जहां इतने सालों बाद एक दिन भी बाजार नही लग सके। बल्कि इन भवनों का निजी तौर पर उपयोग होते हुए इनमें उपलें और भूसा भरा है तो कही इन्हें इन भवनों की शटरें ही नही खुली है।
आठ साल से निजी उपयोग में आ रहे हाट बाजार
आठ साल पूर्व बने इन हाट बाजार के भवनों में कही शटर टूट चुकी है तो कहीं दीवारें फट चुकी है। निर्माण एजेंसी ने जिस तरह से अमानक स्तर का कार्य करवाया है। वह अब सामने आ गया है। ग्राम पंचायत मिश्रनपुर में तो इस भवन का इस स्तर का निर्माण करवाया गया था कि एक साल बाद इसमें लगी शटर व प्लास्टर खराब होना शुरू हो गया था। वर्तमान में इस भवन का उपयोग कई लोग निजी तौर पर करते है जिसमें लोग भूसा और उपले रखे है। इसी प्रकार ग्राम पंचायत पलटा में बने हाट बाजार के भवन का यही हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि लाखों के इस भवन का उपयोग एक दिन भी बाजार के रूप में नही हो सका।
यहां नही मिला योजना का लाभ
जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत गौरिहार में साप्ताहिक हाट बाजार लगता था। पूर्व सरपंच लली पाठक ने बताया कि मेरे द्वारा इस योजना के लिए प्रपोजल तैयार कर जिला पंचायत में दिया गया था. लेकिन कमीशन न दे सकने के कारण हाट बाजार के भवन का कार्य स्वीकृत नही हो सका। वर्तमान में ग्राम पंचायत गौरिहार सहित पहरा, सरवई, खड्डी में साप्ताहिक हाट बाजार लगते है लेकिन इन पंचायतों को इस योजना का लाभ नही दिया गया। जबकि इन पंचायतों के सरपंचों ने इस योजना को पाने के लिये बहुत प्रयास किए। इसी तरह लवकुशनगर जनपद क्षेत्र की ग्राम गुधौरा में बने हाट बाजार में ग्रामीणों ने कब्जा कर लकड़ी कंडे व भूसा भर दिया है। वही ग्राम पंचायत देवपुर में भी ग्रामीणों ने हाट बाजार में कब्जा कर लिया है। ग्राम पंचायत बेड़ी में पूर्व सरपंच व सचिव ने हाट बाजार के निर्माण के लिए आई राशि ही डकार ली। उक्त कार्य आज भी अधूरा पड़ा हुआ है। ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत कई बार की लेकिन जनपद व जिला पंचायत छतरपुर में बैठे अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।