छतरपुर. जिले में कलेक्टर पार्थ जैसवाल की पहल पर एक विशेष अभियान के तहत चरनोई (गोचर) जमीन से अतिक्रमण हटाने का कार्य किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य सडक़ों पर आवारा घूमने वाले पशुओं के लिए सुरक्षित और सुगम रहवास उपलब्ध कराना है। इस पहल के तहत जिले के 10 गांवों में कुल 21.358 हेक्टेयर यानि 52.77 एकड़ चरनोई भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है, और यह प्रक्रिया लगातार जारी है।
इन गांवों में चरनोई भूमि हुई अतिक्रिमण मुक्त
अभी तक किए गए कार्य के अनुसार विभिन्न गांवों से भूमि को अतिक्रमण से मुक्त किया गया है। ग्राम खिरवा में 0.158 हेक्टेयर, सरकना में 0.291 हेक्टेयर, गोपालपुरा में 0.879 हेक्टेयर, पहरा में 0.9 हेक्टेयर, इमिलिया में 1.26 हेक्टेयर, पुतरया में 1.53 हेक्टेयर, चुरवारी में 2.16 हेक्टेयर, धर्मपुरा में 2.368 हेक्टेयर, गरखुंवा में 2.651 हेक्टेयर और सबसे ज्यादा जैतपुर गांव में 9.161 हेक्टेयर चरनोई जमीन से अतिक्रमण हटाए गए हैं।
ये है उद्देश्य और भविष्य की योजना
इस मुक्त की गई जमीन का उपयोग पशुओं के लिए गौठान (पशु आश्रय स्थल) बनाने, चारा उगाने और पशुओं के चारा संग्रहण के लिए किया जाएगा। अभियान का मुख्य उद्देश्य आवारा पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें स्थायी आश्रय प्रदान करना है। एसएलआर आदित्य सोनकिया के अनुसार, अतिक्रमण से मुक्त की गई जमीन की अनुमानित कीमत 5 करोड़ रुपए से अधिक है।
ये होगा लाभ
यह अभियान न केवल पशुओं के लिए चारा और आश्रय की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि ग्रामीण इलाकों में चरनोई भूमि की सुरक्षा और समुचित उपयोग सुनिश्चित करेगा। अभी तक इस अभियान की कोई निश्चित समाप्ति तिथि घोषित नहीं की गई है। चूंकि कलेक्टर पार्थ जैसवाल के निर्देशन में यह अभियान आवारा पशुओं की सुरक्षा और चरनोई भूमि के संरक्षण के लिए चलाया जा रहा है, इसे एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, यह अभियान अतिक्रमण पूरी तरह से हटाने और चरनोई भूमि को संरक्षित करने के उद्देश्य से तब तक जारी रहेगा जब तक जिले की सभी आवश्यक भूमि अतिक्रमण मुक्त नहीं हो जाती और पशुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो जाती। इसका मतलब है कि यह अभियान एक दीर्घकालिक प्रक्रिया हो सकती है, जो धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से जिले के विभिन्न हिस्सों में लागू होगी।
अन्य गांवों में भी चलेगा अभियान
अभी तक जारी अभियान के तहत छतरपुर जिले के 10 गांवों से अतिक्रमण हटाया गया है, लेकिन प्रशासन की योजना है कि जिले के अन्य गांवों में भी यह अभियान चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए। चूंकि इस अभियान का उद्देश्य सडक़ों पर आवारा पशुओं के लिए चरनोई भूमि की सुरक्षा और संरक्षण है, इसलिए भविष्य में यह उन सभी गांवों में चलाया जाएगा जहां चरनोई भूमि पर अतिक्रमण की समस्या है। विशेषकर वे गांव जहां चरनोई भूमि की पहचान की गई है। पशुओं के लिए आवास और चारा की कमी है। अतिक्रमण की शिकायतें या आवश्यकताएं स्थानीय प्रशासन द्वारा दर्ज की गई हैं।
अगले चरण में दूसरे गांव
अभी इस अभियान के तहत छतरपुर के अन्य विकासखंडों और गांवों को भी शामिल किया जाएगा। कलेक्टर और संबंधित अधिकारी जैसे राजस्व विभाग और एसएलआर आदित्य सोनकिया की निगरानी में अगले चरण के गांवों का चयन किया जाएगा। सभी प्रभावित गांवों में भूमि मुक्त कराए जाने के बाद इसका उपयोग गौठान बनाने, चारा उगाने और पशु आश्रय के लिए किया जाएगा।