मामला छतरपुर जिले के भगवा थाना क्षेत्र के कुंडल्या गांव का है। पुलिस के जवान दयाचंद पिता भागीरथ की शादी का कार्यक्रम था। दया दलित समाज से आते हैं। जब वे अपनी बारात दुल्हन के घर लेकर जाने की तैयारी कर रहे थे, घर के बाहर घोड़ी भी तैयार थी, तभी दबंगों को जब इसकी जानकारी मिली तो दूल्हा बने दयाचंद को घोड़ी पर चढ़ने से रोक दिया गया।
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मामला बढ़ने पर दूल्हे के परिजनों ने पुलिस और प्रशासन को इसकी सूचना दी। इसके बाद मामला छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर तक पहुंच गया। वे भी पुलिस के अमले के साथ बारात में पहुंच गए। इसके बाद पुलिस सुरक्षा के बीच दलित दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर बारात ले गए।
दूल्हा बने पुलिस के जवान ने कहा कि रात के समय तो बारात निकलने के दौरान सवर्ण समाज के लोगों ने घोड़ी चढ़ने से रोक दिया था। डीजे भी वापस करवा दिया था। गांव में दलित के घोड़ी पर नहीं छड़ने की परंपरा है। इस परंपरा को मैंने तोड़ दिया है। आगे क्या होता है, अब देखा देखते हैं।
कांग्रेस ने किया सरकार पर हमला
इधर, इस घटना के बाद प्रदेश में राजनीति गर्मा गई है। कांग्रेस न प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने ट्वीट के जरिए लिखा है कि दयाचंद अहिरवार खुद पुलिस में आरक्षक हैं, लेकिन उन्हें अपनी ही बारात निकालने के लिए पुलिस बुलवानी पड़ी। पुलिस के संरक्षण में बारात को निकल गई, लेकिन पूरा परिवार दबंगों के खौफ में है। राज्य सरकार तत्काल सुरक्षा दे और दबंगों के खिलाफ केस दर्ज कर जेल भेजे। इधर, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने कहा कि विषय संज्ञान में आया है। बारात नहीं रुकी, न रोकी गई। शादी के पहले की रस्म थी, परसों की बात है। कल बारात धूमधाम से निकाली गई।