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युवक के मन में थीं ये चिंताएं
जानकारी के मुताबिक, कोविड सेंटर में कल युवक की दूसरी ही रात थी। हालांकि, एक कॉमन फ्रेंड को मंगलवार को युवक ने बताया था कि वो पहले से ही कुछ बातों को लेकर चिंतित था, लेकिन वो अपनी चिंताओं को लेकर अपने किसी भी संबंधी से कह नहीं पा रहा था। वो जल्द से जल्द अपने घर जाना चाह रहा था। उसे लगता था कि, अगर कोरोना का इलाज ही कराना है, तो चिरायु भोपाल जाकर क्यों न कराया जाए। इस संबंध में उसने कई बार अस्पताल प्रबंधन से भी उसे भोपाल रेपर करने की अपील की थी। इसके अलावा, उसके ताऊ भी उसका इलाज भोपाल के चिरायु अस्पताल में कराने के प्रयास कर रहे थे।
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पत्नी और बच्चों की भी थी चिंता
एक और चिंता उसे अपने परिवार की भी थी,एक दोस्त से बात करते हुए उसने कहा था कि, उसकी पत्नी और दो मासूम बच्चे तीन दिन पहले ही ननिहाल से लौटे थे। उनके सेंपल भी लिए जाएंगे, कहीं मेरे बच्चों को भी कोरोना संक्रमण न निकले। इन्ही सब उधेड़ बुन के बीच 27 जुलाई की एक रात, 28 जुलाई का पूरा दिन युवक ने कोविड सेंटर में गुज़ारा और रात लगभग 12 बजे फाँसी लगा ली।