छतरपुर

मिलावटखोरों से मिलीभगत: गुटखा समेत 28 मामलों में लैब की रिपोर्ट में अमानक मिले खाद्य पदार्थ, जिम्मेदारों ने कोर्स में पेश नहीं किए केस

स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई में फिर एक बार बड़ा घोटाला किया गया है। फूड सेफ्टी ऑफिसर द्वारा गुटखा माफिया समेत 28 कारोबारियों के मामले दबाए गए हैं।

छतरपुरDec 31, 2024 / 10:44 am

Dharmendra Singh

सीएमएचओ ऑफिस छतरपुर

छतरपुर. स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई में फिर एक बार बड़ा घोटाला किया गया है। फूड सेफ्टी ऑफिसर द्वारा गुटखा माफिया समेत 28 कारोबारियों के मामले दबाए गए हैं। यह मामला इस बात का हैरान करने वाला है कि तीन महीने पहले प्रयोगशाला में गुटखा और अन्य खाद्य पदार्थों के सैंपल फेल होने के बावजूद एफएसओ वेद प्रकाश चौबे ने जिला न्यायालय और एडीएम कोर्ट में इन मामलों को दायर नहीं किया। आरोप है कि एफएसओ की मिलावटखोरों से मिलीभगत के कारण, यह मामलों की प्रक्रिया को जानबूझकर लटकाया गया।

मिलावटखोरों को बचाने के लिए तय समय में नोटिस तक नहीं दिया


मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय एफएसओ ने खाद्य सुरक्षा विभाग की प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए सैंपल फेल होने के बाद भी नोटिस जारी किए बिना एक माह तक मामले को लटका दिया। दरअसल, खाद्य सुरक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, जब किसी खाद्य पदार्थ के सैंपल फेल होते हैं, तो कारोबारी को एक माह का नोटिस जारी किया जाता है, जिसके बाद उसे सैंपल की पुन: जांच कराने का मौका दिया जाता है। यदि कारोबारी पुन: जांच नहीं कराता है, तो एफएसओ को संबंधित मामले को जिला न्यायालय या एडीएम कोर्ट में प्रस्तुत करना चाहिए।

अदालत में पेश नहीं किया गुटखा का केस


लेकिन इस मामले में एफएसओ ने तमन्ना ट्रेडर्स के यहां से लिए गए सैंपल के फेल होने के बावजूद कोर्ट में कोई प्रकरण दायर नहीं किया। इस प्रकार, मिलावटखोरों को बचाने के लिए एफएसओ ने नियमों की पूरी तरह अवहेलना की है। इसके अलावा डॉ. आरपी गुप्ता(खाद्य और औषधि प्रशासन के उप संचालक) द्वारा अभियोजन स्वीकृति जारी होने के बावजूद एफएसओ ने मामलों को अदालत में पेश नहीं किया। इसलिए एफएसओ के कार्यों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली और मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई में ढिलाई को उजागर करता है, जो आम जनता के स्वास्थ्य से सीधे खिलवाड़ कर रहा है।

पिछले साल 38 मामले दबाए


बाजार में मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने के 38 मामलों की पुष्टि वर्ष 2023 में लैब रिपोर्ट से हुई है। लेकिन जिम्मेदार खाद्य एवं औषधि निरीक्षकों ने अमानक खाद्य पदार्थ के मामलों को दबा दिया। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोर्ट में केस ही नहीं भेजे गए। जिले में पदस्थ खाद्य एंव औषधि निरीक्षकों अमित वर्मा और वेद प्रकाश चौबे ने तीन साल में 38 मामले दबा दिए। हालांकि बाद में अमित वर्मा को कमिश्नर ने निलंबित कर दिया।

सीएमएचओ की जांच में खुली थी पोल


मिलावटखोरों से मिलीभगत के लिए चर्चित खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित वर्मा और वेदप्रकाश चौबे की तात्कालीन कलेक्टर संदीप जीआर के आदेश पर हुई जांच में आरोपों की पुष्टि हुई थी। कलेक्टर संदीप जीआर के आदेश पर हुई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि एफएसओ अमित वर्मा ने लैब से 28 खाद्य पदार्थों की रिपोर्ट अमानक आने के बाद भी 3 साल से प्रकरण कोर्ट में पेश नहीं किए हैं। वहीं, एफएसओ वेदप्रकाश चौबे ने भी 10 केस दबा रखे थे। तात्कालीन सीएमएचओ डॉ. लखन तिवारी की जांच से यह बात सामने आई थी कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी के द्वारा दूषित खाद्य पदार्थों के केस कोर्ट में पेश नहीं करने उक्त प्रकरण समय-सीमा से बाहर हो गए।

इनका कहना है


यदि अभियोजन स्वीकृति मिलने के बावजूद एफएसओ अदालत में केस पेश नहीं करते, तो खाद्य सुरक्षा अधिकारी से इस मामले पर जवाब लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा विभाग के नियमों के तहत सैंपल फेल होने के बाद तत्काल अभियोजन स्वीकृति जारी कर दी जाती है।
डॉ. आरपी गुप्ता, उप संचालक, खाद्य और औषधि प्रशासन

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